भिंड जिले के हरपालपुर के रहने वाले सरल स्वभाव के राजू सिंह भदौरिया ने इस जीत पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि वे देश के लिए पदक जीतना चाहते हैं। चाहे किसी भी प्रतिस्पर्धा में रहें। राजू अब 19वें एशियाई खेलों की तैयारी में जुट गए हैं। राजू एशियाड में जगह बनाने वाले भारत के चार राइडर्स में सबसे कम उम्र के हैं।
राजू के कोच कैप्टन भागीरथ कहते हैं कि राजू की मेहनत ही है कि उसे लगातार आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। वो अब एशियाड में भी भारत का नाम रौशन करने वाला है। 11 वी का छात्र राजू पहली बार 2015 में अपने गांव से पहली बार बाहर निकला। वो भोपाल स्थित एमपी इक्वेस्ट्रियन अकादमी आया तो वो अपने खेल को पूरी तरह से फोकस करता रहा।
मामा से सीखी घुड़सवारी की बारीकियां
राजू भदौरिया के पिता सुजान सिंह और माता कुसमा देवी आज भी पचेरा गांव में रहते हैं। 2016 में जब वह 11 साल का था तब मामा लोकेंद्र सिंह उसे अपने साथ भोपाल अकाडमी ले गए। राजू को घुड़सवारी और घोड़ों की देखभाल से लेकर हर बारीकी चीज समझाई।
एशियन गेम्स क्वालीफाई करने वाले 6वें खिलाड़ी
खेल के प्रति ईमानदारी और लगन का नतीजा है कि राजू ने नेशनल और इंटरनेशनल इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस वर्ष चीन के हांग्जो में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स के लिए क्वालीफाई करने वाले 6वें भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं, जो भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
चार भारतीयों का ऐशियाड में चयन
राष्ट्रीय स्तर पर राजू को दो बार सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार और 2020 में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। एक साल से भी कम समय की मेहनत में ही उसने देश गोल्ड मेडल दिला दिया। राजू ने इस साल बंगलुरू में सीसीआई टू स्टार इवेंटिंग प्रतियोगिता भी जीत ली। इसी प्रतियोगिता में राजू सहित तीन अन्य खिलाड़ियों ने भी एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई कर लिया था। इसमें राजू सिंह भदौरिया, मेजर अपूर्व दाबड़े, मेरठ के हवलदार विकास कुमार और पुणे के आशीष लिमई शामिल हैं।
राजू सिंह भदौरिया (raju singh bhadoria) ने कहा कि “मुझ पर विश्वास व्यक्त करने के लिए एमपी की खेल मंत्री यशोधरा सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मेरे कोच भागीरथ सर और मेरे परिवार का बहुत शुक्रगुजार हूं। मध्यप्रदेश की अकादमी ने मुझे इतनी ऊंचाइयां हासिल करने में सहायता की।