भावना ने कहा कि करीब 200 पर्वतारोही सबमिट करने के लिए पहुंचे थे। इसमें से कई ऐसे थे तो माउंटेनियर नहीं थे। ऐसे लोग अपने साथ दूसरों की जान भी खतरे में डालते हैं। मुझे रास्ते में 3 बॉडी दिखी। पहले तो मुझे बॉडी देख काफी डर लगा लेकिन फिर मैंने अपने आप को संभाला और पहले से ज्यादा सतर्क हुई। कैंप-3 से कैंप-4 के बीच रोप से एक बॉडी बंधी थी। एक पर्वतारोही एक दिन पहले ही हादसे का शिकार हुआ था।
कचरे से पटा पढ़ा है कैंप-4
भावना ने बताया कि नेपाल सरकार हर पर्वतारोही से क्लिनिंग प्रोजेक्ट के तहत फीस लेती है। कैंप-3 से कैंप-4 काफी कचरा है। कैंप-4 पर तो प्लास्टिक वेस्ट बहुत ज्यादा है। यहां सालों से कचरा पड़ा है। इसे साफ करने में सालों लग जाएंगे। कई पर्वतारोही अपना प्लास्टिक वेस्ट और टेंट का सामान तक यहां छोड़ देते हैं। नेपाल सरकार को परमिट जारी करने में सख्ती करनी चाहिए, ताकि एवरेस्ट को साफ रखा जा सके।
बचपन का सपना हुआ पूरा
भावना का कहना है कि मैंने 16 साल की उम्र में ही तय कर लिया था कि मुझे माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करनी है। पिछले 4 सालों से इसके लिए प्रयास कर रही थी। मैं फिजिकल एजुकेशन में मास्टर्स भी कर रही हू्ं। अब एग्जाम की तैयारी पर फोकस करूंगी।