जानकारी के अनुसार शुक्रवार सुबह मेडिकल काउंसलिंग की टीम महावीर मेडिकल कॉलेज पहुंची, उन्होंने सीधे ओपीडी और आईपीडी में पहुंचकर वहां मिल रही मरीजों की सुविधाओं सहित अन्य स्थितियों के बारे में जांच की, टीम को कई चीजें ऐसी नजर आई, जो सिर्फ कागजों में ही बताई गई है, धरातल पर उनका अस्तित्व नहीं था, चूंकि आईपीडी में भी कुल क्षमता के अनुसार 50 प्रतिशत बेड तो भरे होने चाहिए, लेकिन यहां टीम को सबकुछ खाली-खाली नजर आया।
आपको बतादें कि महावीर मेडिकल कॉलेज के ट्रस्ट को एमपी के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया संभालते हैं, उनका परिवार इस ट्रस्ट के बोर्ड में विभिन्न पदों पर है, वहीं मेडिकल कॉलेज को रिटायर्ड आईएस अफसर राजेश जैन देखते हैं, शुक्रवार को अचानक पहुंची मेडिकल काउंसलिंग की टीम को देख सभी के होश उड़ गए, कॉलेज में मौजूद प्रबंधन के लोगों से जब सवाल जवाब किए जाने लगे तो वे भी डरे सहमे हुए ऐसे जवाब दे रहे हैं, जिससे साफ नजर आ रहा है कि वे सामने आई हकीकत को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।
यहां मजदूरों को बनाया था मरीज
आपको बतादें कि महावीर मेडिकल कॉलेज पहले भी कई बार निरीक्षण को लेकर सुर्खियों में रहा है, करीब चार पांच माह पहले एक ईवेंट में भीड़ दिखाने के लिए यहां पर मजदूरों को किराये पर लाकर बिठाया था, उस दौरान मजदूरों के ही ओपीडी के फर्जी पर्चे बनाकर उन्हें कुर्सियों पर बिठा दिया था, लेकिन जब मजदूरों को पैसे देने में वहां का प्रशासन आनाकानी करने लगा तो मामला प्रकाश में आया था।