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नई STF सख्त पर इसपर भी खड़े हुए सवाल
व्यापम महाघोटाले की नए सिरे से हो रही STF जांच में दस लोगों को आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज की गई है। पहले हुई जांच में इन आरोपियों को छोड़ने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एसटीएफ एडीजी अशोक अवस्थी के मुताबिक, जिन आरोपियों को पहले पकड़ा गया था अगर उनका कोई कनेक्शन मौजूदा पकड़े गए आरोपियों से हुआ, तो एक बार फिर उनकी फाइल खोल ली जाएगी। हालांकि, STF की नई जांच भी सवालों के घेरे में हैं, क्योंकि जिन आरोपियों पर FIR कर पकड़ा गया है, उनके शिकायत पत्र पर किसी शिकायतकर्ता का नाम ही नहीं है। यानी STF खुद ही इन मामलों में फरियादी बना हुआ है।
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इन बिंदुओं में हो रही है मौजूदा जांच
मौजूदा STF ने जांच की शुरुआत उन 193 शिकायतों से की है, जिन्हें पिछली CBI जांच के दौरान खास तवज्जो नहीं दी गई थी। इनमें प्रमुख तौर पर दिग्विजय सिंह द्वारा की गई चार शिकायतें, मंत्री उमंग सिंघार द्वारा की गई दो शिकायतें और व्हिसल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी, आनंद राय और पारस सकलेचा की कई शिकायतें शामिल हैं। इनमें ज्यादातर शिकायतें पीएमटी, प्री-पीजी परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की है। इन्हीं 193 शिकायतों की जांच कर एसटीएफ ने पीएमटी परीक्षा में 9 और आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में 1 FIR दर्ज की है। इन्हीं जांचों में सामने आए संदिग्धों पर STF ने कुल दस FIR दर्ज की हैं।
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पुरानी STF जांच में दर्ज की गईं थीं 79 FIR
2013 में व्यापम घोटाले में FIR दर्ज होने के बाद शिवराज सरकार ने STF को जांच सौंपी थी। तब STF के तत्कालीन अफसरों ने 21 नवंबर 2014 को विज्ञप्ति जारी कर लोगों से नाम या गुमनाम सूचनाएं आमंत्रित की थीं। इसमें 1357 शिकायतें एसटीएफ को मिली थीं, जिसमें से 307 शिकायतों की जांच कर 79 एफआईआर दर्ज की गई थीं। 1050 शिकायतों में से 530 जिला पुलिस के पास जांच के लिए भेजी गईं और 197 शिकायतें एसटीएफ अफसरों ने अपने पास रख लीं। बाकी 323 शिकायतों को नस्तीबद्ध कर दिया। इनका आधार गुमनाम होना माना गाया। जिन गुमनाम एफआईआर को पुरानी जांच टीम ने छोड़ दिया है, उन्हीं 197 शिकायतों को STF द्वारा फिर से खंगाला जा रहा है।