आई कार्ड भी जारी किया गया है, जिस पर न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन के फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। फर्जी पत्रों व साइन से जिन्हें नियुक्तियां दी गई है, वे सभी स्थानीय लोगों को मानव अधिकार आयोग के नाम से धमका रहे, डरा रहे और ब्लेकमैल कर रहे हैं। यहां तक कि नियुक्ति पत्र और आई-कार्ड का इस्तेमाल पुलिस को धमकाने में भी किया जा रहा है।
आए दिन ऐसी घटना सामने आने के बाद छिंदवाड़ा की तामिया पुलिस ने मानव अधिकार आयोग से इसकी तस्दीक करवाई तो, आयोग अध्यक्ष जैन भी सकते में आ गए। उन्होंने तत्काल पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है। फर्जी परिचय पत्र व आयोग के नाम, अध्यक्ष का नाम आदि का दुरुपयोग करने वाले कैलाश राय सोनू समाया, अंबुज शर्मा सेक्रेटरी जनरल आदि के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई भी की जाए।
फर्जी पत्र में अपराधों पर रोकथाम-निरीक्षण का दिया जिम्मा
नरेंद्र कुमार जैन के नाम, पदनाम व हस्ताक्षर से जारी किए गए नियुक्ति पत्र में अंग्रेजी में लिखा है कि क्षेत्र में घटित अपराधों की रोकथाम व विवेचना के लिए आपकी नियुक्ति की जा रही है। यह संपूर्ण मप्र में काम करने के लिए अधिकृत होंगे। इस पत्र में आयोग का भोपाल का पता भी अंकित है। 1 अगस्त 2019 को यह नियुक्ति पत्र जारी किया गया है।
इसमें एआईओ पद दिया गया हैं, जो आयोग में प्रचलन में नहीं है। आयोग के नाम से जारी किए गए परिचय पत्रों पर संदेह होने के कारण पुलिस ने आयोग को लिखा कि क्या ये परिचय पत्र जारी किए गए, इनकी ड्यूटी क्या-क्या है, सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने का इन्हें अधिकार दिया गया है आदि बिंदुओं पर पुलिस ने जानकारी मांगी तो आयोग भी सकते में आ गया है।