कलियासोत से केरवा तक खतरा
भोपाल शहर के बीच में स्थित कलियासोत और केरवा पहाड़ी के बीच बाघ की मौजूदगी से सभी परिचित है। पिछले गई दिनों से वह अक्सर इसी क्षेत्र में शिकार कर रहा है। उसके पगमार्क भी कई जगहों पर मिले हैं, वहीं फारेस्ट के सीसीटीवी कैमरे में भी उसकी हरकतें कैद हुई है। यह बाघ पिछले कुछ सालों से लगातार यहां बना हुआ है। इसके अलावा यहां बाघ-बाघिन और शावकों की भी मौजूदगी बताई जाती है। वहीं एक बार तो बाघ कलियासोत डैम की सीढ़ियों पर आकर बैठ गया था, इसके अलावा एक बार कलियासोत के गेट पर भी दिन के समय पानी पीने आ गया था। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े थे।
कैसे बनते हैं नरभक्षी बाघ
विशेषज्ञ बताते हैं कि बाघों का नरभक्षी व्यवहार उनका सामान्य व्यवहार नहीं होता है। इसके लिए प्रमुख रूप से जंगलों में अनुचित तरीके से मानव का दखल, बाघ के घर में मानव का प्रवेश आदि जिम्मेदार होते हैं। मानव की दखल के कारण जंगल तेजी से कम हो रहे हैं और बाघों के प्राकृतिक आवास और भोजन पर असर पड़ने के कारण बाघ को इंसानों के इलाके में प्रवेश करना पड़ता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि बाघ एक वन्य जीव है और सामान्यथः मानव पर हमला नहीं करता है। मानव पर हमले की घटनाएं उसी स्थिति में होती है जब वह वन्य जीवों का शिकार नहीं कर पाता है। या अचानक इंसान उसके सामने आ जाए और उसे खतरा महसूस हो, तभी वह हमला करता है। इस कई परिस्थितियों में भी आम तौर पर बाघ पालतू पशुओं के शिकार तक ही सीमित रहता है, लेकिन इस दौरान उसे यदि मनुष्य के शिकार का आसान अवसर प्राप्त हो जाए तो फ़िर बाघ अक्सर केवल मनुष्य के शिकार का आदी हो जाता है। ऐसी दशा में बाघों को नरभक्षी या आदमखोर की संज्ञा देते हैं।
कलियासोत के नजदीक वन विभाग के मेंडोरा प्लांटेशन के पास शुक्रवार को एक वनकर्मी की चींख से हड़कंप मच गया। लेंटाना घास काटने के दौरान लगभग 30-40 मजदूरों में भगदड़ मच गई। एक वनकर्मी खा गया, खा गया, खा गया… बाघ खा गया कहता हुआ चिल्लाया। मजदूर और वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे, तो वह घायल पड़ा था। पड़ताल में पता चला कि बाघ टी-121 झाडि़यों में छिपा हुआ था। उसने वनकर्मी पर हमला कर दिया। वनकर्मी को जेपी अस्पताल में भर्ती किया गया है।
-वन विभाग ने जारी किए निर्देश
-वनकर्मी अब ज्यादा लोगों के साथ करेंगे मॉनिटरिंग
-कम से कम पांच लोगों का समूह जंगल में जाएगा।
-पैदल की जगह कार में बैठकर मॉनिटरिंग होगी।
-आवाज करने के लिए पटाखे और फटे हुए बांस वनकर्मी साथ में रखेंगे।
-एसपी तिवारी, कंजर्वेटर फॉरेस्ट भोपाल वन मंडल
सेवानिवृत्त एपीसीसीएफ केसी मल के अनुसार यह बाघ का अटैक नहीं, बल्कि अचानक हुआ आमना-सामना प्रतीत होता है। बाघ ने घबराकर हमला किया होगा। एेसे में उसके दिमाग में इस घटना का गहरा असर न पड़े, इसके लिए आवश्यक है कि उसका लोगों से कम से कम सामना हो। बाघ का गुस्सा शांत करने के लिए वहां से दूरी रखना चाहिए।
वन विभाग के अधिकारियों की मानें, तो बाघ टी-१२१ मेल होने के कारण पहले से ही आक्रामक है। इसके पहले ग्रामीण जगदीश यादव की भैंसों के झुंड पर भी इसने हमला किया था। कई बार यह शाम की जगह दिन में भी शिकार कर लेता है। एेसे में बाघ के अंदर निडरता काफी ज्यादा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार कलियासोत-केरवा के क्षेत्र में इस समय चार बाघ और बाघिन सक्रिय हैं। इसमें बाघ टी-१, बाघ टी-१२१, बाघिन टी-१२३ और कभी-कभी बाघ टी-११७ यहां देखे गए हैं।