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पत्रिका टीम अचानक यहां पहुंची तो पार्क में मंत्री द्वारा बनाए शेड के नीचे कुर्सियों-बर्थ पर आठ से दस कार्यकर्ता बैठे हुए थे। पूछने पर बताया, हम तो रहवासी हैं, इसलिए पार्क में बैठे हैं। करीब चार कार पार्क में ही रखी हुई हैं। पार्क पर पूरा कब्जा करने की स्थितियां नजर आ रही है। आधे बचे हुए भाग के तीस से चालीस साल पुराने आठ पेड़ काट दिए हैं। उनके ताजे ठूंठ अब भी नजर आ रहे हैं। कॉलोनी की समिति से जुड़े एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पेड़ काटकर यहां पार्क में नए निर्माण के लिए जगह बनाने की कोशिश की जा रही है। क्षेत्रीय पार्षद से लेकर निगम की पूरी टीम पेड़ों की कटाई से अनभिज्ञ है।
कब्जे वाली जमीन की कीमत 18 करोड़ रुपए मंत्री ने पार्क में जितनी जमीन पर शेड बनाया हुआ है और अपनी कार पार्किंग में उपयोग कर रहे हैं, बाजार मूल्य से उसकी कीमत करीब 18 करोड़ रुपए बन रही है। नई गाइडलाइन में यहां करीब चार हजार रुपए वर्गफीट की दर है। हालांकि ये ग्रीन बेल्ट की जमीन है और इसलिए ही पार्क बनाया हुआ है।
रहवासी नवीन चौबे व टीम ने यहां पार्क की जमीन पर कब्जे के मामले में पुलिस प्रशासन से प्रदर्शन की अनुमति मांगी, ताकि लोगों को इसकी जानकारी हो, लेकिन पुलिस प्रशासन ने आचार संहिता का हवाला देते हुए स्पष्टतौर पर यहां किसी तरह के प्रदर्शन की अनुमति देने से इंकार कर दिया।
गुलमोहर की 3 सेक्टर में करीब 800 मकान हैं। यहां रहवासियों ने पानी और अन्य व्यवस्थाएं करने समिति बनाई है। हालांकि जी 3 के मंत्री के आवास वाले हिस्से में किसी का दखल नहीं है। रहवासी समिति ने भी प्रशासन से पार्क को विकसित करने का अनुरोध किया था। स्थानीय रहवासियों ने बताया कि कई बार मंत्री से व्यक्तिगत अनुरोध के बाद भी कोई असर नहीं हुआ। पार्क में कुछ अराजक तत्व भी आकर बैठते हैं।