भोपाल

परम्परागत वाद्य यंत्रों से सजेगा लोकरंग 2025, जानें इस बार क्या-क्या होगा खास

Lokrang 2025: 5 दिवसीय लोकरंग फेस्टिवल गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को शुरू होगा और 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि शहीद दिवस के अवसर पर संपन्न होगा, इन पांच दिनों में दर्शकों के लिए क्या होगा खास, जानने के लिए जरूर पढ़ें पूरी खबर

भोपालJan 23, 2025 / 04:29 pm

Sanjana Kumar

Lokrang 2025 theme based on traditional Indian instruments

Lokrang 2025: देशभर की लोक कलाओं को समर्पित एमपी का लोकरंग महोत्सव इस बार वाद्य यंत्रों की थीम पर बनाया जाएगा। 5 दिवसीय ये महोत्सव गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को शुरू होगा और 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि ‘शहीद दिवस’ के अवसर पर संपन्न होगा।

भारतीय वाद्य यंत्रों से सजेगा ‘लोकरंग’

Lokrang Festival 2025 की थीम इस बार वाद्य यंत्रों से संबंधित है। इसलिए इस बार लोकरंग की मंच सज्जा पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्रों को केंद्र में रखकर की जाएगी। इस दौरान शहरवासियों को देश-विदेश से आए आर्टिस्ट्स की परफॉर्मेंस देखने और सुनने का शानदार अवसर मिलेगा।
पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्रों की सुरमई प्रस्तुति लोक रंग महोत्सव 2025 की खास पेशकश होगी। इन पांच दिनों में महोत्सव में पहुंचने वाले दर्शक पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी का मजा भी ले सकेंगे। प्रदर्शनी में बांसुरी, तबला, सितार, सरोद सहित कई वाद्य यंत्रों शामिल किए जाएंगे।

लगेगा शिल्प मेला, लगेंगे 210 स्टॉल

लोकरंग 2025 (Lokrang 2025) में शिल्प मेले को खास स्थान दिया जाएगा। इसमें करीब 210 स्टॉल लगेंगे। इन स्टॉल पर शिल्प के 70, कपड़ों के 72, जनजातीय एवं लोक चित्रांकन के 32, अन्य अलंकरण एवं अनुष्ठानिक शिल्प के 36, देशज व्यंजन विधा के 10 स्टॉल लगाए जाएंगे। इस शिल्प मेले में मिट्टी, लकड़ी, लौह, बांस, जूट, पत्थर रस्सी, भरेवा, खराद, पीतल, तांबा, पेपरमेसी, घास, गोबर, घड़वा, डोकरा, झारा, तीर-धनुष, तुम्बा के शिल्प स्टॉल लगाए जाएंगे। इसके अलावा यहां बाग, बटिक, नांदना, बंधेज, जरी-जरदोजी, कलमकारी, कोसा, बनारसी, सिल्क, कसीदाकारी, अजरक, ब्लॉक प्रिंट, दाबू, इंडिगो, कांजीवरम, महेश्वरी, चंदेरी कपड़ों के स्टॉल भी देखने को मिलेंगे।

मालवी, बुंदेली के साथ ही गुजराती और मराठी व्यंजनों का मिलेगा स्वाद

लोकरंग महोत्सव में आने वाले मेहमान या दर्शक यहां व्यंजन मेले का मजा भी ले सकेंगे। देश के विभिन्न व्यंजनों के कुल 10 स्टॉल यहां लगाए जाएंगे। इनमें 6 लोकांचलों में बघेली, बुंदेली, निमाड़ी, मालवी, गुजराती और मराठी व्यंजनों के एक-एक स्टॉल लगाए जाएंगे। साथ ही जनजातीय व्यंजनों में भील, गोंड, बैगा और कोरकू व्यंजन भी चख सकेंगे।

वाद्य यंत्र है थीम, आर्टिस्ट से चल रही बात

लोकरंग फेस्टिवल की थीम इस बार वाद्य यंत्रों पर आधारित रहेगी। इसे लेकर आर्टिस्ट्स से बात चल रही है। दर्शकों के लिए इस बार कई तरह के इंस्ट्रूमेंट्स की विशेष प्रस्तुति दी जाएंगी।
डॉ. धर्मेंद्र पारे, निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी

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