औद्योगिक क्षेत्र इससे लॉजिस्टिक हब से जुड़ेंगे, रेलवे और एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी बाइपास से मिलेगी। देशभर का सामान आसानी से भोपाल पहुंचेगा। हाल में मंत्री जगदीश देवड़ा ने प्रदेश को लॉजिस्टिक हब के तौर पर विकसित करने की बात भी कही है।
लॉजिस्टिक हब ये होंगे प्रमुख स्थान
अयोध्या बाइपास
यह क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग 46 और रेल मार्ग से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। नेशनल हाइवे 1100 करोड़ से यहां छह लेन बाइपास तैयार करवा रहा है। करीब 17 किमी लंबे इस बायपास से गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र, भोपाल रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी होगी। अगले डेढ़ साल में ये तैयार किया जाएगा। मिसरोद
भोपाल के इस क्षेत्र को एक संभावित लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। ये 11 मिल से बाइपास से जुड़ा है। ये बाइपास औबेदुल्लागंज के पास पश्चिमी बाइपास से मिलकर सीधे इंदौर रोड पर जुडेगा। 3000 करोड़ का ये प्रोजेक्ट बाइपास को एयरपोर्ट से लेकर रानी कमलापति, भोपाल स्टेशन, मिसरोद रेलवे स्टेशन से लेकर मंडीदीप स्टेशन तक जोड़ेगा। इसके आसपास बीडीए की दो 45 मीटर चौड़ी रोड और 300 एकड़ की नगर विकास स्कीम है। यहीं से मंडीदीप और अन्य औद्योगिक क्षेत्र का रास्ता जुड़ा जाता है।
इसलिए भोपाल बेहतर
लॉजिस्टिक पार्क के लिए एनएच मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्टेशन सुविधा विकसित करेगा, जबकि मध्यप्रदेश उद्योग विकास निगम आधुनिक वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज विकसित करेगा। भोपाल की भौगोलिक स्थिति इसे मध्य भारत का एक रणनीतिक केंद्र बनाती है। यह सभी प्रमुख शहरों जैसे इंदौर, नागपुर, जबलपुर, और ग्वालियर से अच्छी तरह जुड़ा है। यहां स्मार्ट ट्रैकिंग, इन्वेंटरी मैनेजमेंट और स्वचालित प्रक्रियाएं डिजिटल तौर पर बेहतर बनाएगी। लॉजिस्टिक पार्क से माल परिवहन में लगने वाला समय और लागत कम होगी। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
सप्लाई चेन से जुड़ेगा तो तेज होगा विकास
उद्यम एक्सपर्ट योगेश गोयल का कहना है कि मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरू, नागपुर जैसे शहरों में लॉजिस्टिक पार्क विकसित हो रहे हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन से जुडऩे से शहर व आसपास के क्षेत्रों का तेजी से विकास होगा। लॉजिस्टिक पार्क का उद्देश्य मालवाहन, भंडारण, वितरण और ट्रांसपोर्टेशन को सुगम और कुशल बनाना है।