अभी तक जरूरत के अनुसार छोटे-छोटे संशोधन कर नए प्रावधान जोड़े गए हैं, लेकिन बड़े स्तर पर बदलाव नहीं हुआ है। इससे कई जरूरतें पूरी नहीं हो पा रहीं। शहरी एवं आवासन मंत्रालय ने 2016 में मॉडल बिल्डिंग बॉयलाज बनाकर राज्यों को भेजा था। मप्र सरकार भी अपने भूमि विकास नियम 2012 को इन्हीं के अनुरूप बनाएगी।
खासतौर पर पर्यावरण और स्वच्छता पर जोर दिया गया है। भवन अनुज्ञा लेते समय नए मापदंडों के अनुसार ह्रश्वलान देना होगा। हाल ही में मप्र सरकार ने ईवी को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी जारी कर दी है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के प्रावधान वर्तमान भूमि विकास नियमों में नहीं हैं।
जोड़े जाएंगे ये प्रावधान
100 वर्ग मीटर से ज्यादा साइज वाले सभी नए भवनों को ग्रीन बिल्डिंग मापदंडों के अनुसार बनाना होगा।
हर 80 वर्गमीटर क्षेत्र में एक पेड़ लगाना अनिवार्य।
ऐसे भवन जो प्रतिदिन 10 हजार लीटर से अधिक पानी डिस्चार्ज करते हैं, उनमें वेस्ट वाटर रीसाइकलिंग सिस्टम लगाना होगा।
प्लॉटेड और ग्रुप हाउसिंग में कुल बिजली के लोड का 5 फीसद या 20 वाट प्रति वर्ग फीट रुफ टॉप सोलर सिस्टम से उत्पादित करना होगा।
नर्सिंग होम, होटल, हॉस्टल, आर्मी बैरक, 150 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र का निजी भवन, क्यूनिटी सेंटर, मैरिज हॉल आदि में सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य होगा।
45 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले अपार्टमेंट में आग बुझाने ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम।
नई बनने वाली बहुमंजिला बिल्डिंग की पार्किंग में ईवी चार्जिंग पॉइंट बनाना अनिवार्य होगा।मौजूदा भवनों में भी चार्जिंग पॉइंट बनाए जा सकेंगे। ऐसा करने वालों को प्रॉपर्टी टैक्स में छूट का प्रावधान होगा।
सार्वजनिक भवनों में महिलाओं के लिए पर्याप्त अलग टॉयलेट, विजिटर्स के लिए भी अलग टॉयलेट बनाना अनिवार्य होगा।
संशोधन के लिए मांगे सुझाव
विभाग ने भूमि विकास नियमों में संशोधन प्रस्तावित कर सुझाव मांगे हैं। अब विकास अनुज्ञा में भूमि का स्वामित्व बदला जा सकेगा। रेलवे परिसर से 30 मीटर के दायरे में रेलवे की सहमति से अनुज्ञा दी जा सकेगी। राष्ट्रीय राजमार्ग से भिन्न राजमार्गों पर बनने वाले पेट्रोल पंपों के लिए मापदंड तय किए गए हैं।