सागर जिला परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने आदेश जारी किया। इसमें पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और स्व सहायता समूह के अध्यक्ष, सचिव, सदस्य को चेतावनी दी कि अगर शासन की शर्तों के विपरीत लाभ ले रहे हों तो 15 दिन में छोड़ दें। अन्यथा कार्रवाई होगी। 4 दिसंबर का यह आदेश शुक्रवार को सामने आया। कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष केके मिश्रा ने इस आदेश को टैग करते हुए ट्वीट किया।
ट्वीट में कहा-नई सरकार बनते ही लाड़ली बहना अधर में, भाई, मामा, लाडली बहनाएं अब कितना भी लिपट- लिपट कर रो लीजिए, काम खतम, पैसा हजम की तैयारियां शुरू…….! सियासत गरमाते ही सरकार हरकत में आई। आनन-फानन में आदेश निरस्त किया। सागर कलेक्टर निरस्त आदेश को टैग करते हुए ट्वीट किया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी ग्रामीण -02 द्वारा यह आदेश जारी किया गया था, अब इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। इस आदेश में लिखा गया है कि भ्रामक होने के कारण इसे निरस्त किया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया कि महिला बाल विकास संचालनालय से लाभ परित्याग करने संबंधी आदेश जारी करने के कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं, इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया है।
खजाने की ओर देख रही है सरकार
राज्य में एक करोड़ 31 लाख लाड़ली बहना हैं। वर्ष 2023 के लिए 8000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। शिवराज सरकार में इसके लिए पांच वर्ष तक का बजट आरक्षित कर दिया। यह राशि 60 हजार करोड़ रुपए है। लाड़ली बहनाओं की संख्या में इजाफा होना स्वभाविक है। ऐसे में खजाने पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। खराब वित्तीय स्थिति के चलते सरकार को इसी बढ़ते बोझ की चिंता है।
सागर की 511 महिलाओं ने छोड़ा आर्थिक लाभ
सागर जिला कार्यक्रम अधिकारी त्रिपाठी ने बताया, महिला कर्मचारियों को जागरूक किया जा रहा है। पोर्टल पर किस विकल्प को चुनकर लाभ छोड़ना है, इसकी समझाइश दी जा रही है, लेकिन परियोजना अधिकारी का जारी आदेश अस्पष्ट था। इससे भ्रम की स्थिति हुई, इसलिए आदेश निरस्त किया गया। विभाग की समझाइश के बाद जिले की 511 महिलाओं ने लाभ छोड़ दिया है। ये महिलाएं लाड़ली बहना योजना के लिए पात्र नहीं थीं।
विधानसभा चुनाव में लाड़ली का अहम रोल
विधानसभा चुनाव में लाड़ली बहना सियासत की केंद्र बिंदु रही। शिवराज सिंह दावा करते रहे कि लाड़ली बहना के कारण भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। योजना में पहले लाड़ली बहनों को 1000 रुपए प्रतिमाह दिया, फिर 1250 रुपए किया। इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 रुपए करने के दावे किए। यह राशि हर माह खाते में आ रही है।
ऐसे आदेश की आवश्यकता ही नहीं थी
अपात्र पर कार्रवाई होनी थी। आदेश की जरूरत नहीं थी। अफसरों को संज्ञान में लाए बिना आदेश जारी करने पर परियोजना अधिकारी को चेतावनी दी है।
-दीपक आर्य, कलेक्टर सागर