भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रेलवे ने थर्ड जेंडर्स को टिकट रिजर्वेशन फॉर्म में जगह देने की ऐलान तो कर दी है, लेकिन उन्हें टिकट पर रियायत मिलेगी या नहीं, यह साफ नहीं किया है। देश की पहली किन्नर विधायक व किन्नर समाज की प्रतिनिधि शबनम मौसी ने रेलवे की व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। ‘पत्रिका’ से हुई विशेष बातचीत में मौसी ने कहा कि रेलवे ने हमें वरिष्ठ नागरिकों व दिव्यांगों को रेल किराए में मिलने वाली छूट से बाहर कर दिया है। आदेश में रियायती टिकट का विकल्प बनाना भूल गया और एेसे में वह थर्ड जेंडर में आने वालों से रेलवे पूरा किराया वसूलेगा।
क्या किन्नर नहीं हो सकता सीनियर सिटीजन?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हिजड़ों और किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा दिया गया था। ताकि अगर किन्नर रेलवे का टिकट लेना चाहें, तो वे उसमें थर्ड जेंडर की जानकारी दे सकें। लिहाजा रेलवे ने तय किया है कि 1 जनवरी 2017 से रेलवे के रिजर्वेशन फॉर्म व आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर टिकट बुक कराने के बाद मेल-फीमेल के अलावा थर्ड जेंडर का भी विकल्प होगा। रेलवे की ओर से सीनियर सिटीजन कैटेगरी में 58 वर्ष की महिला और 60 वर्ष से अधिक के पुरुषों को टिकट में रियायत दी जाती है। ऐसे में रेलवे के मौजूदा आदेश का फायदा थर्ड जेंडर्स को नहीं मिल सकेगा। क्योंकि थर्ड जेंडर में मेल-फीमेल व दिव्यांग भी हो सकता है।
इनका कहना है…
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत थर्ड जेंडर को पहचान दिलाने के उद्देश्य से रेलवे 1 जनवरी 2017 से रिजर्वेशन फॉर्म व ऑनलाइन टिकटिंग में मेल-फीमेल के अलावा थर्ड जेंडर का भी विकल्प रखना तय किया था। नए सर्कुलर में ट्रांसजेंडर मेल (टीएम), ट्रांसजेंडर फीमेल (टीएफ) का विकल्प भी रखेंगे। ट्रांसजेंडर दिव्यांग के लिए भी कोई ना कोई व्यवस्था की जाएगी।
– अनिल सक्सेना, एडिशनल डीजी (पीआर), रेल मंत्रालय
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