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भोपाल

अगर आपका करवाचौथ का व्रत है तो जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है करवा चौथ, क्या है इसके पीछे की कहानी

सोलह शृंगार के साथ करेंगी चांद और पति का दीदार…

भोपालOct 24, 2021 / 12:47 pm

Astha Awasthi

भोपाल। कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पड़ने वाला करवाचौथ पर्व आज मनाया जा रहा है। दिन की शुरुआत के साथ महिलाओं का कठिन उपवास शुरू हो चुका है। इससे पहले शनिवार को महिलाओं ने सजे-धजे करवे खरीदे और हाथों में मेहंदी लगवाई। शाम को व्रत खोलने के समय महिलाएं छन्नी में से चांद को देखने के साथ करवे से जलग्रहण कर उपवास खोलेंगी। करवाचौथ पर निर्जला व्रत के साथ करवे और मेंहदी का विशेष योग है। कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत और क्या-क्या है करवे और मेंहदी का महत्व यह धर्म एवं संस्कृति के जानकारों से जानने की कोशिश की।

सौभाग्य और प्रेम की निशानी है मेहंदी

मेहंदी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि गहरी रचने वाली मेहंदी परस्पर प्रेम को बढ़ाती है साथ ही पति की लंबी आयु की ***** होती है। मेहंदी विक्रय और लगाने का व्यवसाय त्याहारों के मौसम में सबसे ज्यादा होता है। करवाचौथ पर इसका विशेष महत्व है, इस मौके पर बाजार में मेहंदी लगाने वाले कलाकार तैयार थे, जिन्हें भी निराश नहीं होना पड़ा और देर शाम तक महिलाओं ने बड़ी संख्या में मेहंदी लगवाई।

मिट्टी का छोटा पात्र या घड़ा होता है करवा

पंडित विष्णु राजौरिया बताते हैं, करवाचौथ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, करवा अर्थात मिट्टी का छोटा घड़ा, और चौथ अर्थात चतुर्थी तिथि। इस पर्व पर मिट्टी के करवे का विशेष महत्व माना गया है। सभी महिलाएं साल भर इस त्यौहार का इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा भाव से पूरा करती हैं। करवाचौथ का त्यौहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है।

आपके शहर में चांद निकलने का समय

करवा चौथ पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा। वहीं करवा चौथ पर चंद्रोदय (Moonrise Time Today) का समय रात 8 बजकर 11 मिनट है, लेकिन अलग-अलग स्थानों के हिसाब से चंद्रोदय का समय भी भिन्न है. कुछ शहर में इसका दीदार पहले हो जाता है, तो कहीं पर ये थोड़ा वक्त लेता है।

क्यों किया जाता है करवा चौथ व्रत

करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे और करवा नाम की एक बेटी थी. एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया. रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उससे भी भोजन करने का आग्रह किया. उसने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी. सुबह से भूखी-प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गई. सबसे छोटा भाई दूर एक पीपल के पेड़ में एक दीपक प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला- व्रत तोड़ लो, चांद निकल आया है.

बहन को भाई की चतुराई समझ में नहीं आई और उसने खाने का निवाला खा लिया. निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला. शोकातुर होकर वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही. अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसका पति दोबारा जीवित हो गया.

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