भोपाल। 16 साल के मो. असलम का पूरा परिवार गैस पीडि़त है। पिता मुनव्वर आलम को फेफड़ों में गंभीर संक्रमण है। माली हालत खराब है। डॉक्टर ने मुनव्वर को सीटी स्कैन कराने को कहा। असलम बड़ी मुश्किल से पिता को लेकर कमला नेहरू सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि मशीन एक माह से खराब है। डॉक्टर ने तुरंत जांच कराओ और बीएमएचआरसी भेज दिया। बीएमएचआरसी गए तो वहां 20 दिन बाद की तारीख दे दी। मुनव्वर की खराब तबीयत के कारण बाहर जांच कराना पड़ी। जांच में पांच हजार रुपए लग गए। पैसे भी उधार लेने पड़े। यह इकलौता मामला नहीं है। हर रोज कमला नेहरू अस्पताल में जांच के लिए आने वाले करीब दो दर्जन मरीजों को इन्हीं हालात का सामना करना पड़ता है। अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन करीब एक माह से खराब पड़ी हुई है। ऐसे में यहां आने वाले गैस पीडि़तों को इस अति महत्वपूर्ण जांच के लिए भोपाल मेमोरियल अस्पताल (बीएमएचआरसी) भेजा जा रहा है। यही नहीं बीएमएचआरसी में पहले ही मरीजों की भीड़ है। एेसे में कमला नेहरू अस्पताल के मरीजों को जांच के लिए 20 दिन की वेटिंग दी जा रही है। अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन करीब 15 साल पुरानी है। कंपनी ने अब इस मशीन का मेंटेनेंस बंद कर दिया है। ऐसे में यह मशीन आएदिन खराब हो जाती है।हमीदिया अस्पताल के मरीजों को भी परेशानी हो रही है। हमीदिया अस्पताल में भी इस जांच की सुविधा नहीं है। ऐसे में यहां के मरीजों को जांच के लिए कमला नेहरू ही भेजा जाता है। नहीं मिल रहे पार्ट्स इस बार मशीन की पिक्चर ट्यूब खराब हो गई है जिसे बदलवाने में करीब 25 से 30 लाख रुपए खर्च होंगे। पुरानी तकनीक होने के कारण इस मशीन की टयूब बाजार में नहीं मिल रही है जिससे करीब महीने भर से मशीन बंद पड़ी हुई है। सरकारी अस्पतालों के मरीज निजी अस्पतालों में सिर्फ कमला नेहरू ही नहीं सभी सरकारी अस्पतालों की यही हालत है। हमीदिया अस्पताल में भी बरसों से सीटी और एमआरआई मशीन लगाने की कवायद चल रही है। वहीं कोबाल्ट मशीन भी करीब 30 साल पुरानी हो गई है। एक्स-रे मशीनें 25 साल पुरानी है। जों नई मशीनें हैं, वो ताले में बंद हैं। विभाग इन मशीनों को बदलने की बात तो करता है लेकिन कार्रवाई नहीं होती। यह भी हैं मामले मेरा इलाज हमीदिया अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टर ने एमआरआई जांच के लिए कहा। कमला नेहरू अस्पताल गए तो पता चला कि मशीन खराब है। अस्पताल स्टाफ ने कहा बीएमएचआरसी चले जाओ। वहीं एक मरीज से पता चला कि वहां एक महीने की वेटिंग चलती है। आखिरकार निजी अस्पताल में 8 हजार रुपए में जांच करवाई। संजय बड़ोदे, छोला नाका पिताजी को फेफड़ों में परेशानी है। कमला नेहरू अस्पताल में डॉक्टर ने एमआरआई कराने को कहा और बीएमएचआरसी की स्लिप दे दी। बीएचएआरसी गए तो वहां हमें 26 दिन बाद की तारीख दी। मजबूरी में इंतजार करना पड़ा। अब्दुल वजीद खान, सोनिया गांधी नगर मशीन के पार्ट्स नहीं मिलते ऐसे में सारे मरीज इन जांचों के लिए निजी अस्पतालों में जाते हैं। मशीन का सामान नहीं मिलता मशीन खराब पड़ी है। कई साल पुरानी हो चुकी है। इसलिए इसके पार्ट भी नहीं मिलते। अब नई मशीन लगवाई जाएगी। इसके लिए पीपीपी मोड पर बात चल रही है। -केके दुबे, उप सचिव, गैस राहत विभाग