पांच राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई कमलनाथ की मुलाकात के बाद अटकलें तेज हो गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्यप्रदेश के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, उन्हें कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। कमलनाथ के पास मध्यप्रदेश में फिलहाल दो पद हैं, वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं।
इंदिरा मानती थी तीसरा बेटा
गांधी परिवार के साथ कमलनाथ की नजदीकियां संजय के साथ दोस्ती के वक्त से है। इंदिरा कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा मानती थी। संजय के कहने पर ही कमलनाथ ने राजनीति में पहला कदम रखा था। पहली बार 1980 के लोकसभा में कमलनाथ पहली बार चुनाव लड़े थे। इंदिरा जब चुनाव प्रचार करने छिंदवाड़ा आई थी तो उन्होंने कहा था कि राजीव और संजय के बाद कमलनाथ मेरे तीसरे बेटे है, और में अपने बेटे के लिए वोट मांगने आई हूं। कमलनाथ भी उन्हें मां मानते थे।
बचपन के दोस्त थे
कमलनाथ गांधी परिवार के साथ बेहद करीबी और सबसे विश्वसनीय लोगों में माने जाते हैं। तीन पीढ़ियों से कमलनाथ गांधी परिवार से जुड़े हैं। संजय से कमलनाथ की गहरी दोस्ती थी।
गांधी परिवार के पास है अध्यक्ष का पद
1998 में सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं, तभी से कांग्रेस की बागडौर गांधी परिवार के पास ही है। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तभी से अंतरिम अध्यक्ष के रूप में सोनिया यह जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
पिछले कुछ सालों से कांग्रेस के ही अन्य सदस्यों में से किसी को कांग्रेस की कमान दिए जाने का दबाव भी बन रहा था। क्योंकि पिछले चुनावों के दौरान भाजपा की ओर से अक्सर ही कांग्रेस पर एक ही परिवार की पार्टी होने का आरोप लगाया जाता रहा है।
पार्टी नेताओं में अच्छी पकड़
कई वर्षों तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे कमलनाथ की पार्टी में अच्छी पकड़ है और बड़े नेताओं से भी अच्छे संबंध हैं। 2002 में कमलनाथ को महासचिव बनाया गया था। गांधी परिवार के साथ घनिष्ठता के कारण ही राहुल गांधी के भी पसंदीदा नेताओं में कमलनाथ का नाम लिया जाता है। कमलनाथ मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से 9 बार सांसद रह चुके हैं। 2018 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत करने के बाद मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।