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भोपाल

कमला नेहरू आग हादसा : 17 घंटे बाद भी घर वालों को नहीं दिखाए जा रहे बच्चे, परिजन लगा रहे बच्चे बदले जाने के आरोप

बड़ा सवाल ये है कि, हादसे के करीब 17 घंटे बाद भी अस्पताल प्रबंधन की ओर से परिजन को उनके बच्चों के बारे में न तो स्पष्ट जानकारी दी जा रही है, न ही अस्पताल में जाने की अनुमति दी जा रही है।

भोपालNov 09, 2021 / 12:48 pm

Faiz

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कमला नेहरू आग हादसा : 17 घंटे बाद भी घर वालों को नहीं दिखाए जा रहे बच्चे, परिजन लगा रहे बच्चे बदले जाने के आरोप

भोपाल. राजधानी भोपाल में स्थित मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल की तीसरी मंजिल पर पीडियाट्रिक वार्ड में सोमवार रात लगी भीषण आग के जहां एक तरफ आधिकारिक तौर पर अब तक 4 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 40 बच्चों को सुरक्षित बचाया गया है, तो वहीं सूत्रों की मानें पोस्टमार्टम के लिए कमला नेहरू से अबतक 7 बच्चों को लाया गया है। बड़ा सवाल ये है कि, हादसे के करीब 17 घंटे बाद भी अस्पताल प्रबंधन की ओर से परिजन को उनके बच्चों के बारे में न तो स्पष्ट जानकारी दी जा रही है, न ही अस्पताल में जाने की अनुमति दी जा रही है।


ऐसे में मासूमों के परिजन का अस्पताल के बाहर रो-रोकर बुरा हाल है। कई परिजन तो अपने बच्चों के बदले जाने के भी आरोप लगा रहे हैं। बड़ा सवाल है कि, अगर अफरा-तफरी के समय बच्चों को सुरक्षित स्थान पहुंचाने के दौरान अगर उनके माता-पिता के साथ दस्तावेजी पुष्टि न की गई होगी, तो बच्चों से उनके माता-पिता की पुष्टि कर पाना मुश्किल होगा। ऐसे में सिर्फ डीएनए के माध्यम से ही बच्चे के असल मा-बाप की पुष्टि संभव हो सकेगी।


हादसा रात 8.15 बजे पीआईसीयू में शॉर्ट सर्किट से ब्लास्ट हुआ और आग लग गई। शॉर्ट सर्किट से निकली चिंगारी ने वहां रखे मॉनिटर और वायर ने आग पकड़ ली, जिससे थोड़ी देर में आग ने बड़ा रूप ले लिया। घटना के वक्त फ्लोर पर मौजूद डॉक्टर, स्टाफ नर्स से लेकर हाउस कीपिंग और सिक्योरिटी स्टाफ बच्चों को बचाने में जुट गया। चारों तरफ बंद होने के कारण आग और धुआं पूरे एनआईसी में भर गया। हालत यह थी कि मोबाइल टॉर्च की रोशनी भी वहां काम नहीं कर रही थी।

 

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जिसके हाथ में जितने बच्चे आए, उठा लिए

हाउस कीपिंग स्टाफ में काम करने वाली संतोषी बाथम ने पत्रिका को बताया कि जैसे ही आग लगी और धमाके की आवाज आई हम सब डर गए। आग और धुआं देख मैंने और जितने भी लोग वार्ड में थे, कुछ बच्चों को उठाने में लगे। मैंने आग बुझाने वाली मशीन उठाई और चलाना शुरू कर दी। धुएं से सबके मुंह काले हो गए। जिसके हाथ में जितने बच्चे आए, उन्हें उठाया और दूसरे फ्लोर पर लेकर भागे। मैंने अपने स्टाफ के साथ कई बच्चों को उठाकर दूसरे फ्लोर पर पहुंचाया।

 

अब बच्चों की पहचान हुई मुश्किल

आग लगने की सूचना के बाद बाहर बैठे परिजन भी वार्ड में घुस गए और बच्चों को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़ने लगे। परिजनों को भी पता नहीं चल रहा था कि उनका बच्चा कहां भर्ती है। एक परिजन ने बताया कि मेरा चार दिन का बच्चा है। मैं उसके लिए मां का दूध लेने सुल्तानिया गया था। इधर से बहन ने फोन किया कि अस्पताल में आग लग गई है। मैं दौड़ता-भागता वार्ड में पहुंचा तो देखा चारों तरफ धुआं ही धुआं भरा हुआ था। मुझे नहीं पता कि मेरा बच्चा किस हालत में है। ऐसे कई और परिजन भी अपने बच्चों के लिए परेशान होते रहे। देर रात बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। इसमें टैग का ध्यान नहीं रखा गया। इससे उनकी पहचान मुश्किल हो गई।

 

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आग बुझाने के नहीं थे इंतजाम

हॉस्पिटल में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। इसके बाद ब्लास्ट हो गया। बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर आठ मंजिल के कमला नेहरू अस्पताल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे। फायरकर्मियों ने अस्पताल में लगे ऑटोमेटिक हाईड्रेंट को देखा तो वो खराब पड़ा था। हर फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्विशर तो थे लेकिन काम नहीं कर रहे थे। इधर, मंगलवार सुबह भी परिजन हंगामा कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों का पता नहीं चल रहा है।

 

मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भीषण आग – देखें Video

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