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भोपाल

कर्ज के सहारे कमलनाथ सरकार, 6 महीने में अभी तक 9,600 करोड़ रुपए ले चुकी है उधार

कर्ज के बोझ तले दबता मध्यप्रदेश।
2019-20 में 35 हजार करोड़ तक ले सकती है कर्ज।
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए कर्ज लेने का प्लान।
जून महीने में दूसरी बार ऐसा करने जा रही सरकार।

भोपालJun 19, 2019 / 12:31 pm

Pawan Tiwari

kamal nath

कर्ज के सहारे कमलनाथ सरकार, 6 महीने में अभी तक 9,600 करोड़ रुपए ले चुकी है उधार


भोपाल. मध्यप्रदेश में विकास कार्यों को पूरा करने के लिए कमल नाथ सरकार लगातार कर्ज लेने पर मजबूर हो रही है। किसान कर्ज माफी से लेकर तमाम खर्चों को पूरा करने के लिए जून में ही सरकार को अब दूसरी बार कर्ज लेना पड़ रहा है। इसके लिए सरकार बाजा़र का दरवाज़ा खटखटाएगी। जिसपर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से ही ये मामला चर्चा में था कि प्रदेश सरकार के खाली खजाने का क्या होगा? किसानों के दो लाख तक के कर्ज को माफ़ करने की घोषणा तो कर दी, पर ये पैसा आएगा कहां से? सरकार का खर्च चलेगा तो चलेगा कैसे? विरासत में लुटी हुई तिजोरी मिलने की बात कहती रही कमलनाथ सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है।

एक हजार करोड़ का होगा कर्ज
सरकार इस बार एक हजार करोड़ का होगा कर्ज लेगी। जून महीने में यह दूसरा मौका है जब सरकार बाजार से भारी भरकम कर्ज उठाएगी। सरकार की माने तो यह कर्ज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए लिया जा रहा है। कभी विपक्ष की भूमिका में बैठी कांग्रेस जिस कर्जे को लेकर सत्तासीन सरकार को घेरने का कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती थी वह अब खुद उसी रास्ते पर दिखाई दे रही है। लिहाजा अप्रैल 2019 से अभी तक सरकार 5 बार में 4 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है और अकेले वित्तीय साल 2019-20 में ही 35 हजार करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की उम्मीद जताई जा रही है।
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सूत्रों की माने तो सरकारी खजाने की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। वचन पत्र को पूरा करने के लिए खर्च पहले की तुलना में बढ़ गया है। अकेले किसानों की कर्जमाफी में ही 35 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा लगने हैं। अभी तक 6 हजार करोड़ रुपये का फाइनेंसियल प्रोविजन सरकार कर चुकी है। इसमें लगातार बढ़ोतरी होना भी तय है तो अन्य योजनाओं में भी व्यय बजट बढ़ गया है। इसका असर विकास की दूसरी योजनाओं पर न पड़े, लिहाजा सरकार कर्ज का सहारा ले रही है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से अभी तक 9,600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा चुका है।
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कर्ज लेने की शुरुआत फरवरी से हुई
एक फरवरी, 11 फरवरी, 22 फरवरी और 28 फरवरी, 8 मार्च, 25 मार्च, पांच अप्रैल, 30 अप्रैल और 4 मई, 30 मई और 5 जून को अभी तक सरकार कर्ज ले चुकी है। कर्ज के बोझ तले दबते मध्यप्रदेश की बचाने के लिए कमलनाथ सरकार चिंतित भी दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने मंत्रियों को फिजूलखर्ची से बचने और लग्जरी होटलों में न रुकने की सलाह पहले ही दे चुके हैं। अब कम खर्चे के उपाय पर भी जोर दिया जा रहा है। सभी विभागों से गैर जरूरी योजनाओं को बंद करने को भी कहा गया है। तो एक जैसी योजनाओं को आपस में मिलाने पर भी काम किया जा रहा है। सरकार का पूरा जोर विभाग की आय बढ़ाने पर भी है। अधिकारियों से बिजनेस मॉडल को अपनाने की बात कही जा चुकी है और वसूली के भी आदेश दिए गए हैं।

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