गुना से सांसद केपी यादव की टिकट काटकर जब बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा का उम्मीदवार बनाया तो उनके सामने दोहरी चुनौती थी। उन्हें केवल जीत की ही जरूरत नहीं थी बल्कि अपना खोया रुतबा दोबारा पाने के लिए जबर्दस्त जीत की दरकार थी। यादव बाहुल्य गुना सीट पर कांग्रेस के यादव प्रत्याशी पर 5 लाख से ज्यादा वोटों की बढ़त लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह बड़ी चुनौती पार कर ली है।
यह भी पढ़ें : बड़ी खबर : एमपी में बीजेपी के बड़े नेता की तबियत बिगड़ी, डॉक्टरों ने अस्पताल में समर्थकों को रोका सन 2018 और 2019 ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं थे। 2018 में एमपी में कांग्रेस की जीत के बाद सीएम पद पर उनकी तगड़ी दावेदारी थी पर राहुल गांधी ने कमलनाथ को तरजीह दी। सिंधिया मन मसोसकर रह गए। अगले ही साल 2019 में लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत गुना सीट भी गंवा बैठे। पार्टी में साख कम हुई तो सिंधिया अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में चले गए। उन्होंने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराकर फिर बीजेपी को सत्ता पर काबिज कराया और खुद केंद्र में मंत्री बन गए थे।
गुना लोकसभा सिंधिया परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है। यहां से राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और उनके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया जीतते रहे पर 2019 के लोकसभा चुनाव में मानो गजब हो गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया तब यहां से बीजेपी के प्रत्याशी
कृष्णपाल सिंह यादव से बुरी तरह हार गए। तब सिंधिया कांग्रेस में थे। केपी यादव ने उन्हें 1 लाख 25 हजार वोटों से करारी मात दी थी। बीजेपी प्रत्याशी केपी यादव को 614049 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को महज 488500 वोट मिले थे।
गुना लोकसभा सीट 2024 — अपडेट
बीजेपी प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिले 783947 वोट
कांग्रेस प्रत्याशी यादवेंद्र सिंह को मिले 328978 वोट
ज्योतिरादित्य सिंधिया 502914 वोटों से आगे
बसपा प्रत्याशी धनीराम चौधरी तीसरे नंबर पर