भगवान जिनेन्द्र के जयकारों से गुजायमान हुआ ज्ञानोदय तीर्थधाम परिसर
– दो दिवसीय विधान एवं अध्यात्मिक शिक्षण शिविर का शुभारम्भ ध्वजारोहण के साथ हुआ
भोपाल. राजधानी के समीप ज्ञानोदय तीर्थधाम में शनिवार को श्रद्धा-भक्ति और आस्था का अभूतपूर्व संगम दिखाई दे रहा था। सम्पूर्ण तीर्थधाम परिसर केसरिया रंग में रंगा हुआ था। दो दिवसीय मंगलमय आयोजन ज्ञानोदय तीर्थधाम की स्थापना दिवस एवं ज्ञानोदय दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय के वार्षिक उत्सव के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। प्रात: धर्मध्वजा के ध्वजारोहण के साथ अनुष्ठान प्रारम्भ हुआ। ध्वजारोहण का सौभाग्य सुनील जैन 501 परिवार को प्राप्त हुआ। ध्वजारोहण के साथ ही सम्पूर्ण परिसर भगवान जिनेन्द्र के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। विधान आमंत्रणकर्ता प्रणव चौधरी परिवार एवं विधान उद्घाटनकत्र्ता अविरल शास्त्री परिवार एवं मंगल कलश स्थापनकत्र्ता परिवार अरविन्द अजय सोगानी परिवार पुण्याजर्को में शामिल रहे। कार्यक्रम संयोजक अरूण वर्धमान ने बताया पं.जतीश चन्द्र शास्त्री दिल्ली के निर्देशन में मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान से अनुष्ठान हुए। श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक कर सम्पूर्ण जगत में शांति की कामना को लेकर मंत्रोच्चारी शांतिधारा की। भगवान जिनेन्द्र की पूजा-अर्चना के बाद श्री पंचमेरू विधान के अद्र्ध अष्ठद्रव्य के द्वारा समर्पित किये गये। बाहर से आये विद्वानों ने गोष्ठी के दौरान क्रमबद्ध पर्याय एवं अनुशीलन विषय पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। पं. जगदीश चन्द्र शास्त्री ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा शिक्षा प्रणाली में हमारी संस्कृति और संस्कारों का समावेश पहले होना चाहिए। शिक्षा प्रणाली कैरियर से पहले चरित्र का निर्माण करने वाली होनी चाहिए। विद्यार्थी के जीवन में शिक्षा ग्रहण करने से पूर्व विनय का गुण होना चाहिए, जिसके जीवन में विनय है, उसका जीवन ही सफल और सुखद है। विनय ज्ञान का मूल होता है। इस अवसर पर ज्ञानोदय तीर्थधाम समिति के अशोक जैन, देवेन्द्र बडक़ुल, सचिन मोदी, राजकुमार जैन, पु_ामिल सहित अनेक धर्मावलम्बी उपस्थित थे। रविवार को प्रात: 07:00 बजे से श्री शीतलनाथ विधान एवं दोपहर 02:00 बजे से स्वास्थ्य स्वाध्याय एवं आमंत्रित विद्वानों द्वारा पंडित टोडरमल जी की 300वीं जन्मजयंती के उपलक्ष्य में मोक्ष मार्ग प्रकाशक ग्रंथ के आधार पर विशेष उद्बोधन होंगे।
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