Chhetah State MP
इस टॉपिक पर आज हम सबसे पहले बात करते हैं श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क की.. इस पार्क को चीता प्रोजेक्ट के लिए चुना गया। देश में चीतों को बसाने और उन्हें संरक्षित करने के लिए चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा चुकी है। इस मिशन के तहत पांच मादा और तीन नर चीतों को भारत लाया गया। नामीबिया की राजधानी विंडहोक से कस्टमाइज्ड बोइंग 747-400 एयरक्राफ्ट से इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाकर छोड़ा गया। इन चीतों को इंटरनेशनल नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन चीता कंजर्वेशन फंड, जिसका हेडक्वार्टर नामीबिया है और यह संस्था चीतों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है ने उपलब्ध कराया। इसी के साथ एमपी को चीता स्टेट होने का दर्जा भी मिल गया।
बाघों के लिए बेहद खास है MP
शनिवार को एक बार फिर MP टाइगर स्टेट घोषित किया गया है। 2018 में जहां इनकी संख्या 526 घोषित की गई थी। वहीं अब 2023 में जारी की गई बाघों की जगनणना रिपोर्ट में इनकी संख्या 785 हो गई। यानी एमपी ने एक बार फिर टाइगर स्टेट का ताज अपने सिर सजा लिया। मध्य प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं। यह सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व हैं। इनके अलावा 5 नेशनल पार्क और 10 सैंचुरी हैं। टाइगर के लिए एमपी के पर्यावरण को बेहद मुफीद माना जाता है। टूरिस्ट के बीच एमपी के टाइगर बेहद लोकप्रिय भी हैं। वहीं यहां घरेलू से लेकर तमाम नामी हस्तियां भी टाइगर का दीदार करने के लिए आती हैं।
लेपर्ड भी MP में सबसे ज्यादा
चीता और टाइगर स्टेट के साथ ही MP कैट प्रजाति के तेंदुआ (लेपर्ड) के लिए भी नंबर वन पर है। लेपर्ड को बेहद चालाक जानवर माना जाता है। 2018 लेपर्ड गणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में 3,427 लेपर्ड हैं। यही कारण है कि इसे लेपर्ड स्टेट भी कहा जाता है। यहां लेपर्ड लगभग प्रदेश के हर कोने के जंगल में पाया जाता है।
भेड़िया या वुल्फ स्टेट भी है MP
इसी तरह भेडिय़ा संरक्षण के मामले में भी मध्य प्रदेश नंबर वन पर है। राज्य में भेडि़ए की आबादी 772 है। इसके बाद राजस्थान का नंबर आता है, जहां संख्या 532 है। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश की आबोहवा और यहां का वातावरण भेडिय़ों को भी बहुत पसंद है। यही कारण है लगातार इस वन्यजीव का कुनबा यहां बढ़ता जा रहा है। इसीलिए एमपी को भेडिय़ा या वुल्फ स्टेट का खिताब भी मिला हुआ है।
मध्य प्रदेश गिद्ध संरक्षण के मामले में भी देश में सबसे आगे है। पिछली गणना के अनुसार एमपी में 9,448 गिद्ध मिले। इसी के चलते इसे गिद्ध स्टेट का दर्जा भी हासिल है। भोपाल के केरवा इलाके में 2013 में गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र बनाया गया था। इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त तौर पर संचालित किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में कुल सात प्रजातियों में गिद्ध पाए जाते हैं। इनमें से चार स्थानीय और तीन प्रजाति प्रवासी हैं, जो शीतकाल समाप्त होते ही वापस चली जाती हैं। प्रदेश में सबसे अधिक गिद्ध पन्ना, मंदसौर, नीमच, सतना, छतरपुर, रायसेन, भोपाल, श्योपुर और विदिशा में पाए जाते हैं। इन जिलों के जंगलों में गिद्धों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
घडिय़ाल का ताज भी MP के सिर
एमपी केवल चीता, टाइगर, वुल्फ स्टेट ही नहीं बल्कि घडिय़ाल स्टेट भी है। यहां मुरैना जिले में चंबल नदी पर बने घडिय़ाल अभयारण्य को घडिय़ालों का स्वर्ग कहा जाता है। यहां पिछली गणना के मुताबिक बढ़कर 2,227 घडिय़ाल होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद बिहार की गंडक नदी का नंबर आता है, लेकिन वहां भी आंकड़ा तीन अंकों से ज्यादा नहीं है। जलीय जीव के संरक्षण और संवर्धन के कारण ही मध्य प्रदेश को घडिय़ाल स्टेट का दर्जा भी दिया गया है।
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