चिनूक हेलीकॉप्टर : Interesting Facts
– चिनूक भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण बल गुणक है जो विभिन्न इलाकों और परिस्थितियों में काम कर सकता है।
– चिनूक नाम आधुनिक अमेरिकी वाशिंगटन राज्य के मूल निवासी चिनूक लोगों के नाम पर रखा गया।
– चिनूक हेलीकॉप्टरों के रूप में यह मल्टी-मिशन भारी-लिफ्ट परिवहन हेलीकॉप्टर हैं जो वे सैनिकों, भारी मशीनरी, तोप, बख्तरबंद गाड़ियां, युद्ध के मैदान पर उपकरण, गोला-बारूद इत्यादि जैसी सामग्री का परिवहन करने में सक्षम है।
– यह एक Progressive मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर है, जो भारतीय सशस्त्र बलों को लड़ाकू और मानवीय मिशनों के पूरे स्पेक्ट्रम में बेजोड़ सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता प्रदान करता है।
– चिनूक की पेलोड क्षमता लगभग 10 टन है यानी यह 10 टन तक के भार को कहीं भी ले जा सकता है।
– इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल सैनिकों, हथियारों, डिवाइस, ईंधन, सड़क निर्माण और इंजीनियर उपकरणों को ढोने में किया जाता है।
– चिनूक काफी ऊंचाइयों तक भारी पेलोड पहुंचा सकता है और उच्च हिमालय संचालन के लिए भी अनुकूल है। इससे सैन्य और HADR मिशन में भारत की क्षमता बढ़ी है।
– यह किसी भी समय और सभी मौसम में संचालित किया जा सकता है। इसके अलावा, ये कठिन और घने इलाके में ऑपरेशन के लिए भी उपयुक्त हैं।
– चिनूक की पहली इकाई को IAF में 25 मार्च, 2019 को चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन 12 विंग में शामिल किया गया।
– बोइंग CH-47 या चिनूक एक भारी लिफ्ट अमेरिकन ट्विन-इंजन, टेनडम रोटर हेलीकॉप्टर है जो 15 से ज्यादा देशों के सशस्त्र बलों को सेवा प्रदान करता है और इसे अमेरिकी रोटरक्राफ्ट कंपनी वर्टोल द्वारा विकसित किया गया है।
– इनका न केवल सैन्य अभियानों के लिए बल्कि आपदा राहत, सर्च ऑपरेशन और रिकवरी जैसे कार्यों, चिकित्सा और नागरिक विकास के लिए भी किया जाता है।
– चिनूक हेलीकॉप्टर 9 टन से ज्यादा का अधिकतम पेलोड और 45 सैनिकों का भार वाहन करने की क्षमता रखता है।
– घने कोहरे और धुंध में भी यह एक्शन लेने में सक्षम है।
– यह बेहद कुशलता से मुश्किल से मुश्किल जमीन पर भी ऑपरेट कर सकता है।
– इसमें कॉमन एविएशन आर्किटेक्चर और उन्नत कार्गो-हैंडलिंग क्षमताओं के साथ पूरी तरह से एकीकृत डिजिटल कॉकपिट प्रबंधन प्रणाली है।
– फरवरी 2007 में नीदरलैंड ने CH-47F के 17 हेलीकॉप्टर खरीदे थे और इस प्रकार यह पहला विदेशी खरीददार बना था।
– इसके बाद चिनूक यू.के, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया, यू.ए.ई, इटली, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, ग्रीस, अमेरिकी सेना, अमेरिकी सेना रिजर्व और नेशनल गार्ड सहित 15 से अधिक देशों के सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किया जाता है।
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