आपको बता दें भारत की धरती पर 70 साल बाद चीतों के कदम पड़े हैं। विलुप्त होने के बाद 50 साल से इन्हें भारत की जमीन पर बसाने की योजनाएं केवल चर्चा ही बनती रहीं। लेकिन अब चीते का दोबारा भारत में पुनर्वास कागजों से बाहर नजर आ रहा है। इस प्रक्रिया में कुल 20 चीते लाने की योजना है। पहले चरण में 8 चीते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर बाड़ों में छोड़े हैं। वहीं भारत सरकार अगले 5 साल में कूनो नेशनल पार्क में कुल 20 चीतों का पुनर्वास करना चाहती है। यह घटना इसलिए भी ऐतिहासिक है कि दुनिया में इस समय केवल 17 देशों में ही चीते मौजूद हैं। जिनकी कुल संख्या करीब 7000 है।
पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी के प्रभारी उप संचालक बीपी तिवारी ने कहा कि भारत से वर्ष 1952 में चीते पूर्णत: विलुप्त हो गए। इसके उपरांत वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार एवं वन विभाग मध्यप्रदेश शासन के प्रयास से कूनो राष्ट्रीय उद्यान श्योपुर में आज 17 सितम्बर (शनिवार) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में आठ चीतों का एतिहासिक पुर्नस्थापना कार्य किया जा रहा है।
इकोसिस्टम के लिए सबसे जरूरी है चीता
तिवारी बताते हैं कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चीता बेहद जरूरी है। चीता खाद्य शृंखला का सबसे शीर्ष जीव है। उसके न होने से पूरी खाद्य शृंखला पर असर दिखता है। भारत में चीता, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़ीसा, तमिलनाडु में पाए जाते थे। एक समय ऐसा आया जब धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती गई और भारत की जमी से इनके निशां खत्म हो गए। नतीजा ये हुआ कि चीते के एरिया के भू-क्षेत्र प्रभावित होने लगे। वहां का पूरा इकोसिस्टम खत्म हो गया। इन इलाकों से कई शाकाहरी जीवों का अस्तित्व खत्म हो गया। घास के मैदान नष्ट हो गए। पर्यावरण प्रभावित होता रहा।
पुराणों में है ‘चीता’ का जिक्र
आपको जानकर हैरानी होगी कि चीता शब्द भारत से ही उत्पन्न हुआ है। इस शब्द का जिक्र हामरे पुराणों में मौजूद है। वहीं अंग्रेजी भाषा में भी इसे चीता ही कहा जाता है। जहां तक नामीबिया से चीता लाने का सवाल है तो एशिया और अफ्रीकी चीते में आनुवांशिकी समानताएं हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि नामीबिया से लाए गए 8 चीते, यहां के वातावरण से अनुकूलन स्थापित कर लेंगे। कूनो नेशनल पार्क की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां पर 20 चीतों को बसाया जा सकता है। सरकार नामीबिया से मंगाए गए 8 चीतों के अलावा 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से मंगाएगी।
– चीता अपनी रफ्तार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह 120-130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है।
– जंगली चीतों में फीमेल की उम्र 14-15 साल तक होती है। जबकि मेल चीता की उम्र 10-12 साल होती है।
– फीमेल चीता एक बार में 2-5 शावकों जन्म दे सकती है।
– एक समय में भारत में चीतों की संख्या 10 हजार तक थी।
– शिकार और दूसरे जानवरों के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाने से उनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई।
– माना जाता है कि छत्तीसगढ़ के कोरिया के महाराजा ने 1947 में देश में आखिरी तीन चीतों को मार डाला था। इसके बाद ही भारत सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था।
ये भी जानें
इस ऐतिहासिक घटना के बारे में ज्यादा से ज्यादा बच्चे जान सके, इसके लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय करीब 5 लाख बच्चों से ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से संपर्क किया गया है। उन्हें चीते के महत्व के बारे में बताया गया है। जो आने वाले समय में चीते के संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।