देश में यह इज्तिमा सिर्फ भोपाल में ही होता है। इसके अलावा पाकिस्तान के रायविंड और बांग्लादेश के टोंगी में इस तरह का आयोजन किया जाता है। भोपाल का आयोजन दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे पुराना है।
भोपाल। नवाबों के दौर से शुरू हुआ इज्तिमा अब दुनियाभर की पहचान बन गया है। दुनिया के पांच बड़े इस्लामिक आयोजन में से एक आलमी तब्लीगी इज्तिमा पहली बार 1944 में भोपाल के ही 14 लोगों के साथ शुरू हुआ था। यह कारवां अब साल-दर-साल आगे बढ़ा और दुनियाभर के लोगों की आस्था का केंद्र बन गया। आस्था का आलम ये है कि इस बार 25 नवम्बर से शुरू हो रहे तीन दिनी आयोजन में करीब 14 लाख लोगों के पहुंचने की संभावना है।
देश में ये इज्तिमा सिर्फ भोपाल में ही होता है। इसके अलावा पाकिस्तान के रायविंड और बांग्लादेश के टोंगी में इस तरह का आयोजन किया जाता है। भोपाल का आयोजन दुनिया में सबसे बड़ा और सबसे पुराना है।
ऐसे होता है आयोजन आलमी तब्लिगी इज्तिमे का शाब्दिक अर्थ है विश्वस्तरीय धार्मिक सम्मलेन। पूरी दुनिया से इस्लाम के अनुयायी धर्म की शिक्षा हासिल करने और सिखाने के लिए आते हैं। इस दौरान उलेमा की तकरीरें भी होती हैं। जिसमें कुरआन में दी गई शिक्षा के मुताबिक किस तरह से जिंदगी गुजारे।
इन देशों से पहुंचती हैं जमातें रूस, फ्रांस, कजाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलेशिया, जाम्बिया, दक्षिण अफ्रीका, कीनिया, इराक, सऊदी अरब, इथियोपिया,यमन, सोमालिया, थाईलैंड, तुर्की और श्रीलंका से हजारों की तादाद में जमाती तीन दिनी आयोजन में शिरकत करने के लिए भोपाल आते हैं।
मिस्कीन साहब ने की थी इज्तिमे की शुरुआत
भोपाल में इज्तिमे की शुरुआत 66 साल पहले नवाबी दौर में हुई थी, पहले एक मस्जिद में मौलाना मिस्कीन साहब ने की इसकी नींव रखी थी। पहली बार उनके साथ 14 लोग जुटे थे। उसके बाद ताजुल मस्जिद में इसका आयोजन होने लगा। साल-दर-साल लोगों की आस्था बढ़ने लगी और इसमें शिरकत करने वालों में कई देशों के लोग भी जुड़ने लगे। इसमें शिरकत करने वालों की संख्या इतनी बढ़ी कि ताजुल मस्जिद परिसर और उसके आसपास की जमीन भी कम पड़ने लगी। दस साल पहले इसे यहां से 15 किमी दूर ईंटखेड़ी स्थित घासीपुरा में शिफ्ट कर दिया गया। पहले इसकी जिम्मेदारी मौलाना इमरान और बड़े सईद मियां ने के पास रही। वर्तमान में इस जवाबदारी को मौलाना मिस्बाह उद्दीन संभाल रहे हैं।
27 नवंबर तक चलेगा आयोजन
भोपाल में इस साल आलमी तब्लीगी इज्तिमा 25 नवंबर को सुबह फजिर की नमाज के साथ शुरू होगा। वहीं 27 नवंबर को सामूहिक दुआ के साथ इसका समापन होगा। दिल्ली के साथ तब्लीगी जमात के मरकज (मुख्यालय) के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों से आए विद्वान और उलेमा तीन दिन तक तकरीर करेंगे।
सामूहिक निकाह पहले दिन होंगे
दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक आयोजनों में से एक आलमी तब्लिगी इज्तिमा में इज्तिमाई निकाह भी होते हैं। इस बार करीब 500 जोड़ों का सामूहिक निकाह होगा। यह इज्तिमे के पहले दिन असिर की नमाज के बाद होगा। इज्तिमाई निकाह की शुरुआत शादियों में होने वाली फिजूलखर्जी को रोकने के मकसद से की जाती है। इज्तिमा से निकाह के लिए इच्छुक परिवार के जरिए दारूल कजा में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है।
इज्तिमा स्थल की व्यवस्था
-14 लाख से अधिक लोग करेंगे शिरकत
-60 एकड़ में बैठक
-200 एकड़ में पार्किंग
-सस्ते खाने के कई स्टाल लगेंगे
-हर दिशा में होगा फुड जोन
-चार दिशाओं से आने वालों के लिए होगी अलग-अलग पार्किंग।