69 साल से हो रहे इस आयोजन का समय के साथ भले ही स्वरूप बदल गया, लेकिन यहां दी जाने वाली सीख नहीं बदली। छह बातों पर इस पूरे इज्त्मिा की बुनियाद है। लाखों लोगों को इसी के दायरे में रहकर बात बताई जाती है। सामूहिक दुआ के साथ 27 नवम्बर को इज्तिमा का समापन को होगा।
इज्तिमा की बुनियाद हैं ये छह बातें-
1- ‘ईमान’ – अल्लाह एक है। इसके सिवाय कोई दूसरा माबूद नहीं। हजरत साहब अल्लाह के रसूल हैं। इसका यकीन ही ईमान है। ईश्वर पर विश्वास ही ईमान है। सबसे पहली मेहनत इसी को लेकर होती है। उलेमाओं के मुताबिक ये यकीन यदि बन गया तो खुद ही बुराइयों से बचने लगेंगे और भलाई के कामों की तरफ बढ़ेंगे।
1- ‘ईमान’ – अल्लाह एक है। इसके सिवाय कोई दूसरा माबूद नहीं। हजरत साहब अल्लाह के रसूल हैं। इसका यकीन ही ईमान है। ईश्वर पर विश्वास ही ईमान है। सबसे पहली मेहनत इसी को लेकर होती है। उलेमाओं के मुताबिक ये यकीन यदि बन गया तो खुद ही बुराइयों से बचने लगेंगे और भलाई के कामों की तरफ बढ़ेंगे।
2- नमाज-‘अपने कार्यों को करते हुए खुदा को याद करना। उलेमाओं के मुताबिक नमाज हर एक मुसलमान पर फर्ज है। इसलिए तय समय पर नमाज अदा करना चाहिए। उलेमा बताते हैं कि जब अजान होने लगे तो दुनिया के सभी काम छोड़कर नमाज अदा की जानी चाहिए। ताकि अल्लाह की इबारत हो सके।’
3- इल्म और जिक्र- ‘अच्छाई और बुराई में फर्क कर सकें, इतना इल्म हर एक को जरूरी है। महिलाओं और पुरुषों के लिए इसकी कोई सीमा नहीं है। जितना हो सके, ज्ञान हासिल करना चाहिए, ‘जिक्रÓ यानी अल्हाह को याद करना, हमेशा अल्लाह को याद करो, ऐसा करने से दिलों से बुरे ख्याल निकलेंगे।’
4- इखलास-ए-नियम – ‘आप कोई भी काम करो, इसमें दिखावे या मैं की भावना नहीं होनी चाहिए। कोई भी काम हो इसका मकसद यही हो कि अल्लाह मुझसे खुश हो जाए। फिर वो काम दीनी हो या दुनियावी। उलेमाओं के मुताबिक मदद के दौरान यदि दिखावा या मैं की भावना आ गई तो ये फिजूल है।
5- इकरामे मुस्लिम – ‘बड़ों का अदब, छोटों से प्यार। अपनों से बड़ों के साथ अदब और लिहाज से पेश आएं, उनका ऐहतराम करें, वहीं अपने से छोटों से प्यार से पेश आएं। उन्हें भलाई की सीख दें और बुराई की ओर जाने से रोकें। यदि किसी का पड़ोसी दु:खी है तो उसकी इबादत कबूल नहीं होगी। व्यवहार किसी को दु:ख पहुंचाने वाला न हो।’
6- तब्लीग का वक्त – ‘रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने सभी दिनरात काम में जुटे रहते हैं। इसके बीच कुछ समय ऐसा हो, जिसमें कुछ नया सीख सकें, या जिन्हें नहीं आता उन्हें सिखा सकें। समय के साथ इनसानों में कुछ बुराइयां आ जाती हैं। कुछ समय कुरआन, नमाज और जिक्र के बारे में सीखना चाहिए।’
इनकी होंगी तकरीर – इज्तिमा में दिल्ली के मौलाना साद साहब, मौलाना जमशेद, मौलाना शौकत, मौलवी शहजाद, मौलाना मुश्ताक सहित २० विद्वानों की तकरीर होंगी। पाकिस्तान से नहीं आती जमात – इज्तिमा में पाकिस्तानी जमातों पर पाबंदी है। इज्तिमा के इतिहास में कभी भी पाकिस्तान की जमातों को नहीं बुलाया गया। यहां दुनियाभर से लोग शामिल होने आते हैं।
इंतजामात पर एक नजर –
– इज्तिमा स्थल तक आवाजाही के लिए 400 बसों का इंतजाम किया गया है। इनमें से बीसीएलएल की 40 लो-फ्लोर एवं मिडी बसें शहर के विभिन्न क्षेत्रों से चलाई जाएंगी।
– इज्तिमा स्थल पर आसपास के 32 ट्यूबवैल से पानी सप्लाई की व्यवस्था की गई है, इसके अलावा 400 पानी की टंकियां इज्तिमा स्थल पर रखी गई हैं। यहां पांच हजार अस्थायी नल लगाए गए हैं।
– यहां दस बिस्तर का अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया है। यहां तीन दिन 24 घंटे डॉक्टर्स की टीम एवं स्टाफ मौजूद रहेगा। छह एंबुलेंस रहेंगी तैनात। इनमें से दो अस्पताल एवं चार अलग-अलग पॉइन्ट पर मौजूद रहेंगी।
– इज्तिमा स्थल तक आवाजाही के लिए 400 बसों का इंतजाम किया गया है। इनमें से बीसीएलएल की 40 लो-फ्लोर एवं मिडी बसें शहर के विभिन्न क्षेत्रों से चलाई जाएंगी।
– इज्तिमा स्थल पर आसपास के 32 ट्यूबवैल से पानी सप्लाई की व्यवस्था की गई है, इसके अलावा 400 पानी की टंकियां इज्तिमा स्थल पर रखी गई हैं। यहां पांच हजार अस्थायी नल लगाए गए हैं।
– यहां दस बिस्तर का अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया है। यहां तीन दिन 24 घंटे डॉक्टर्स की टीम एवं स्टाफ मौजूद रहेगा। छह एंबुलेंस रहेंगी तैनात। इनमें से दो अस्पताल एवं चार अलग-अलग पॉइन्ट पर मौजूद रहेंगी।
– इज्तिमा स्थल पर बीएसएनएल ने दो अस्थायी टॉवर लगाए हैं। कम्यूनिकेशन बेहतर रहे इसके लिए आयोजन कमेटी को सात वायरलैस फोन मुहैया करवाए गए हैं।
– बाहर से आए यात्रियों को इज्तिमा स्थल पर ही रेलवे रिजर्वेशन सुविधा मुहैया करवाने के लिए रेलवे ने दो विशेष काउंटर बनाए हैं। यहां पश्चिम मध्य रेलवे की टीम तैनात रहेगी।
– बाहर से आए यात्रियों को इज्तिमा स्थल पर ही रेलवे रिजर्वेशन सुविधा मुहैया करवाने के लिए रेलवे ने दो विशेष काउंटर बनाए हैं। यहां पश्चिम मध्य रेलवे की टीम तैनात रहेगी।
14 से 14 लाख तक का सफर-
– 1944 में पहले इज्तिमा का आयोजन इब्राहिमपुरा स्थित मस्जिद शकूर खां में किया गया।
– 14 लोग जुटे थे पहले इज्तिमा में। इज्तिमा की नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी।
– 1971 से इज्तिमा का आयोजन बड़े स्वरूप में ताजुल मसाजिद में होने लगा।
– 2002 तक ताजुल मसाजिद परिसर में इज्तिमा का आयोजन किया जाता था।
2003 से इज्तिमा का आयोजन ईंटखेड़ी, घासीपुरा में किया
जा रहा है।
– 03 देशों भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में किया जाता है इज्तिमा का आयोजन।
– 1944 में पहले इज्तिमा का आयोजन इब्राहिमपुरा स्थित मस्जिद शकूर खां में किया गया।
– 14 लोग जुटे थे पहले इज्तिमा में। इज्तिमा की नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी।
– 1971 से इज्तिमा का आयोजन बड़े स्वरूप में ताजुल मसाजिद में होने लगा।
– 2002 तक ताजुल मसाजिद परिसर में इज्तिमा का आयोजन किया जाता था।
2003 से इज्तिमा का आयोजन ईंटखेड़ी, घासीपुरा में किया
जा रहा है।
– 03 देशों भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में किया जाता है इज्तिमा का आयोजन।
खुशनसीब है भोपाल, जो मेजबानी करता है : शहर काजी
भोपाल में पूरी दुनिया से लोग जमा होते हैं। यह वो मौका है जब ऊंच-नीच और छोटे-बड़े का फर्क भूल सभी के यहां आने का मकसद अच्छी और दीनी बातों को सीखना होता है। इसके लिए शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमें खिदमत का मौका मिला। दीन में जिंदगी गुजारने का एक तरीका बताया गया। इस तरीके पर चलकर ही हम दुनिया और आखिरत में कामयाब हो सकते हैं। आलमी तब्लीगी इज्तिमा सालों से हर इंसान को इसी की सीख दे रहा है। अपने कामों को आगे पीछे कर लोग यहां जमा होते हैं।
हदीसों में बताया है, तुम में से बेहतर इंसान वह है, जिसने किसी को तकलीफ न पहुंचाई हो। हर इंसान का ये फर्ज है कि वह दूसरों का ख्याल रखे। यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है।
भोपाल में पूरी दुनिया से लोग जमा होते हैं। यह वो मौका है जब ऊंच-नीच और छोटे-बड़े का फर्क भूल सभी के यहां आने का मकसद अच्छी और दीनी बातों को सीखना होता है। इसके लिए शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमें खिदमत का मौका मिला। दीन में जिंदगी गुजारने का एक तरीका बताया गया। इस तरीके पर चलकर ही हम दुनिया और आखिरत में कामयाब हो सकते हैं। आलमी तब्लीगी इज्तिमा सालों से हर इंसान को इसी की सीख दे रहा है। अपने कामों को आगे पीछे कर लोग यहां जमा होते हैं।
हदीसों में बताया है, तुम में से बेहतर इंसान वह है, जिसने किसी को तकलीफ न पहुंचाई हो। हर इंसान का ये फर्ज है कि वह दूसरों का ख्याल रखे। यहां आकर हमें उन बातों को जानने का मौका मिलता है।
अपनी जिंदगी किस तरह से गुजारे इज्तिमा में हमें ये सीख मिलती है। दुनिया में हमारे आने का मकसद केवल स्वयं के लिए जीना नहीं है। यहां आकर जो शिक्षा दी जाती है उस पर अमल करें। दूसरों को भी इसकी सीख दें।
किसी काम को सीखने के लिए वक्त लगता है। जिंदगी गुजारने के लिए जो तरीका बताया गया उसे सीखने के लिए भी वक्त देना जरूरी है। इसी में कामयाबी है। अल्लाह एक है और उसकी मर्जी के बिना कुछ नहीं होता ये यकीन होना चाहिए। इसी को बनाने के लिए ये पूरी मेहनत होती है। अगर ये बात दिलों में आ गई तो हम खुद ही बुराइयों से दूर हो जाएंगे।
– मुश्ताक अली नदवी,शहर काजी
– मुश्ताक अली नदवी,शहर काजी
————————————————– Ijtema Bhopal, Ijtema bhopal 2017, Bhopal Ijtema 2017, Bhopal Ijtema, Bhopal News, Bhopal Hindi News,Ijtema Festival Celebration in Bhopal 2017 Bhopal Ijtema 2017,Ijtema Bhopal, Ijtema bhopal 2017, Bhopal Ijtema 2017, Bhopal Ijtema, Bhopal News, Bhopal Hindi News, Ijtema Festival, Ijtema Festival Celebration