मध्यप्रदेश में कृषि के अलावा दूसरे आर्थिक संसाधनों को भी विकसित हों। प्रदेश के लघु और क्षेत्रीय उद्योगों को बढ़ावा मिले। यहां के उत्पाद को बड़ा बाजार मिले। इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं जैसे मध्यप्रदेश में क्षेत्रीय स्तर पर तांबा और पीतल के अच्छे उद्योग हैं। यहां की कारीगरी बेहतर है, लेकिन बड़ा बाजार न होने के कारण इसकी देश विदेश में पहचान नहीं बन सकी। हालांकि चंदेरी की बनी साडिय़ां फेमस हैं, बाघ प्रिंट का कोई जवाब नहीं है। यहां के उत्पाद को बड़ा और बेहतर बाजार मिलेगा तो लोगों की आय बढ़ेगी, जीवन स्तर में सुधार होगा।
बेटियां आगे बढ़े, उड़ान भरने का मौका मिले हमारा प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित हो, महिलाएं सशक्त हों। महिलाएं समाज का प्रतिनिधित्व कर सके। शासन और समाज मिलकर एक साथ काम करें। महिलाओं को आगे बढ़ाएं, बेटियां आगे बढ़े, सभी बेटियों को उड़ान भरने का मौका मिले। ऐसा मध्यप्रदेश का भविष्य हो।
ब्रांड नेम हो एमपी मध्यप्रदेश के उत्पादों को प्रोत्साहन के साथ बड़ा बाजार मिले तो जिससे मध्यप्रदेश ब्रांड नेम बनकर उभरे। यानी मध्यप्रदेश की वस्तुएं देश और विदेश में नाम से जानी जाएं। साख ऐसी हो कि मध्यप्रदेश का उत्पाद है तो बेहतर ही होगा। इसके लिए लघु और कुटीर उद्योगों के उत्पाद को एक मंच पर लाने की जरूरत है। इन्हें ई-कामर्स से जोड़ा जाए। इसके लिए लोगों को बेहतर प्रशिक्षण मिले। सरकार के साथ समाज स्तर पर प्रयास हों तो सफलता जरूर मिलेगी।