रमजान के बाद करीब तीन माह बाद यहां ईद की नमाज होगी। तब तक ईदगाह में कई सुधार कराएं जाएंगे। वक्फ बोर्ड ये काम करा रहा है। जानकारी के मुताबिक करीब 15 लाख से यहां काम हो रहे हैं। जिसके तहत किब्ला रूख की ओर काम चल रहा है। जमीयत उलेमा के हाजी मोहम्मद इमरान ने बताया कि पिछले कई वर्षों से वक्फ बोर्ड और प्रदेश सरकार से ईदगाह और यहां कि पार्किंग में सुधार को लेकर मांग की जा रही है। इस मामले को पत्रिका ने भी उठाया था। जमीयत पदाधिकारियों ने इसे लेकर जहां आभार जताया वहीं पार्किंग के लिए जो जगह खाली पड़ी है वहां भी सुधार की मांग की है।
जमीयत उलेमा ने छेड़ी थी मुहिम ईदगाह के कई हिस्सों में जर्जर हाल के चलते इसमें सुधार को लेकर जमीयत उलेमा ने मुहिम चला रखी है। इसके साथ ही राजधानी के कब्रिस्तानों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने को लेकर जमीयत काम कर रहा है। वक्फ बोर्ड और नगर निगम को इस संबंध में जमीयत कई बार ज्ञापन सौंप चुका है। वर्तमान में मकबरों को सुधारने और कब्रिस्तानों की फेंसिंग सहित कई काम संस्था के जरिए किए जा रहे हैं। जमीयत के हाजी मोहम्मद इमरान हारून के अलावा मोहम्मद कलीम एडवोकेट, मुजाहिद मोहम्मद खान, एडवोकेट वसीम कुरेशी, मुफ़्ती मोहम्मद राफे, फईम उद्दीन चौधरी, मोहम्मद यासिर, डॉक्टर निज़ाम उद्दीन, मोहम्मद गुलरेज़ सहित कई लोग इस मुहिम में शामिल हैं।
एक लाख लोग अदा कर सकते हैं नमाज
एक लाख लोग अदा कर सकते हैं नमाज
जानकारों के मुताबिक ईदगाह का निर्माण 1898 में नवाब शाहजहां बेगम ने कराया था। यहां करीब एक लाख लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं। इसे इस तरह बनाया गया कि लोगों को आवाजाही में परेशानी न हो। चूंकि ये खुली जगह होती है ऐसे में बारिश के लिए भी यहां इंतजाम रखे गए हैं। इसका ढाल कुछ इस तरह है कि कभी पानी नहीं ठहरता।