भोपाल में आजादी से पहले करीब 95 साल तक बेगम और सुल्तानों का शासन रहा। आजादी के बाद भी भोपाल से कम से कम चार बार महिलाओं को सांसद बनने का मौका। इस तरह 20 साल तक महिलाओं ने ही संसद में भोपाल का प्रतिनिधित्व किया। अभी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल से सांसद हैं।
कब-कब महिलाओं का प्रतिनिधित्व 1957 से 1962 और 1962 से 1967 तक कांग्रेस के टिकट पर मैमूना सुल्तान भोपाल की सांसद बनीं। मैमूना सुल्तान को भोपाल की पहली महिला सांसद बनने का भी गौरव हासिल है। यह लगातार दो टर्म तक सांसद रहीं। यह मप्र से दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहीं। मैमूना सुल्तान स्वतंतत्रा संग्राम के आंदोलन से भी जुड़ी रहीं। अफगानिस्तान के शाह की वंशज मैमूना सुल्तान के परदादा शाह सूजा अफगानिस्तान के रहने वाले थे।
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भोपाल में 1819 से 1926 के बीच चार बेगमों ने भोपाल की सत्ता संभाली। इनमें कुदसिया बेगम, सिकंदर बेगम, शाहजहां बेगम और सुल्तान जहां बेगम प्रमुख हैं। भोपाल की अंतिम शासिका शाहजहां बेगम थीं। जिन्होंने 1861 से 1901 तक भोपाल की रियासत संभाली।