उनका जन्म 21 मई 1931 को हुआ था। उनकी पुत्री नेहा शरद मुंबई में टीवी कलाकार हैं। पं. जोशी उज्जैन के माधव कॉलेज में पढ़े और कई साहित्यिक कृतियों की रचना की। कवि दिनेश दिग्गज ने बताया, उन्होंने टेलीविजन के लिए ‘ये जो है जिंदगी, विक्रम-बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, देवी जी, प्याले में तूफान, दाने अनार के और ये दुनिया गजब की…जैसे धारावाहिक लिखे। उनके लिखे सीरियल्स ने टीवी पर धूम मचा दी थी.
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अपने साहित्यिक योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। मध्यप्रदेश में भी उनके नाम पर प्रदेश सरकार द्वारा शरद जोशी सम्मान दिया जाता है, लेकिन उनकी जन्म स्थली पर कोई बड़ा आयोजन नहीं होता। कुछ अवसरों पर संस्थाएं अपने स्तर पर उन्हें याद करती हैं। जोशी लंबे समय तक इंदौर भी रहे थे।
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बात चुभी तो व्यंग्य लिखे
पं.जोशी की अपने दौर की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विसंगतियों पर पैनी निगाह थी। साफगोई से उन्होंने अपने शब्दों से उसे कुरेदना शुरू किया था। पहले वे व्यंग्य नहीं लिखते थे। कहा जाता है कि किसी मंच पर एक कवि की बात उन्हें चुभ गई, इसके बाद वे व्यंग्य लिखने लगे। इसके बाद तो इस विधा में उनकी तूती बोलने लगी. देश—दुनिया में उन्हें एक व्यंग्यकार के रूप में ही ज्यादा जाना गया.