भोपाल

भारत में ही सबसे ज्यादा क्यों हो रहे साइबर अपराध, जानिए इस रिपोर्ट में

मध्यप्रदेश में दो माह में आए 600 मामले…।

भोपालMay 24, 2022 / 01:13 pm

Manish Gite

भोपाल। इंटरनेट की दुनिया ने लोगों के जीवन को काफी सरल बना दिया है, लेकिन दुनियाभर में इंटरनेट का दुरुपयोग भी बढ़ता जा रहा है। अनेक देशों में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साइबर अपराध किसी भी बड़ी कम्पनी, राजनीतिक पार्टियों और किसी भी आम व्यक्ति के साथ किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में भारत ऐसा देश हैं जहां सबसे अधिक साइबर अपराध के मामलों सामने आए हैं।

आइए देखते हैं क्या कहती है यह रिपोर्ट….।

 

 

सीईआरटी-इन (इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारत में सबसे अधिक साइबर क्राइम के मामले दर्ज किए गए हैं। सीईआरटी साइबर सुरक्षा हमलों से निपटने के लिए केन्द्र सरकार की एक नोडल एजेंसी है, जो सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय के तहत काम करती है। 2022 के पहले दो महीनों में 2,12,285 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि इसकी तुलना में साल 2018 में 2,8,456 साल 2019 में 3,94,499 घटनाएं 2020 में 11,58,208 और 2021 में 14,2,809 घटनाएं दर्ज की गयी हैं। ये आंकड़े बताते हैं इन तीन बर्षों में साइबर क्राइम के मामले लगभग 7 गुना और कोविड के दौरान अधिक तेजी से बड़े हैं।

ऑनलाइन धोखाधड़ी सबसे ज्यादा भारत में

सीईआरटी से अलग एनसीआरबी के आंकड़े अलग ही कहानी बयां करते हैं। साल 2019 में अपराध दर 3.3 से बढ़कर 2020 में 3.7 हो गयी। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में अधिकतर केस धोखाधड़ी के मकसद से दर्ज किए गए 2020 में 60.2 प्रतिशत मामले तकरीबन (50,035 मामलों में से 30,142) दर्ज किए गए। जबकि 6.6 प्रतिशत (3,293) मामले यौन शोषण के पाए गए। इसके अलावा 4.9 प्रतिशत (2,440) केस जबरन वसूली के जारी किए गए थे। आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 4047 मामले, ओटीपी जालसाजी के 1093 केस, डेबिट क्रेडिट कार्ड से ठगी की 1194 घटनाऐं, और एटीएम से सम्बन्धित 2160 मामले दर्ज किए गए। रिपोर्ट में बताया गया कि सोशल मीड़िया पर फर्जी सूचना के 578 केस, ऑनलाइन परेशान करने या महिलाओं और बच्चों को साइबर धमकी से जुड़े 972 मामले, जबकि फर्जी प्रोफाइल के 149 और आंकड़ों की चोरी के 98 मामले जारी किए गए हैं।

 

भरोसे के कारण होती है ज्यादा धोखाधड़ी

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साइबर हमलों की मुख्य वजह धोखाधड़ी को ही माना जाता है। भारत के लोग आसानी से किसी भी जालसाज व्यक्ति पर भरोसा कर लेते हैं। जो मोबाइल पर उनके अकाउंट से जुड़ी जरूरी जानकारी जैसे ओटीपी, पासवर्ड आदि प्राप्त कर लेते हैं। भारत 560 मिलियन से अधिक इंटरनेट यूजर्स के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऑनलाइल मार्केट है, इस मामले में भारत केवल चीन से पीछे है। ऐसा अनुमान है 2023 तक देश में 650 मिलियन से ज्यादा इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे। इतना विशाल मार्केट होने के कारण यहां साइबर अपराधों में दिन-ब-दिन तेजी बढ़ती ही जा रही है।

 

इन राज्यों में हैं सबसे अधिक मामले

साइबर अपराधों के मामले में कर्नाटक सबसे आगे है, जहां धोखाधड़ी के (9,680) केस दर्ज किए गए थे, इसके बाद उत्तर प्रदेश (4,674) और तेलंगाना में (4436) का आंकड़ा रहा। इन तीन राज्यों में धोखाधड़ी के सबसे अधिक 62 प्रतिशत घटनाऐं जारी की गयीं। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक यौन शोषण के 612 मामलों के साथ महाराष्ट्र पहले स्थान पर रहा, इसके बाद उत्तर प्रदेश (560) और असम में (483) केस रिपोर्ट किए गए। इसके अलावा जबरन वसूली की (1,055) उत्तर प्रदेश में पायी गयी, इसके बाद असम (447) और ओडिशा में (175) मामले दर्ज किए गए।

 

 

मध्यप्रदेश में दो माह में आए 600 मामले

वहीं इन साइबर अपराधों से मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं रहा। 2022 के शुरूआती 2 महीनों में 600 से अधिक मामले देखने को मिले। वहीं 2021 में साइबर अपराध शाखा में 3,600 शिकायतें प्राप्त हुईं थी। इनमें महिलाओं के खिलाख अपराध, सोशल मीडिया पर मॉर्फ्ड तस्वीरें शेयर करना, अश्लील टिप्पणियां और फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट खोलना शामिल है। इसके अलावा 65% शिकायतें ऑनलाइन धोखाधड़ी से संबंधित है। जबकि पुलिस ने बताया ये केवल वो मामले हैं, जिन्हें लोगों ने साइबर शाखा में शिकायत के तौर पर दर्ज कराया है। असल आंकड़ा तो इससे ज्यादा ही होगा।

 

क्या होता है साइबर अपराध

साइबर अपराध कम्प्यूटर और नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। इसमें ऑनलाइन ठगी, धोखाधड़ी, जासूसी आदि किया जाता है। पिछले दिनों पेगासस स्पाईवेयर चर्चा में था, जिसे इजरायला सॉफ्टवेयर कम्पनी NSO GROUP ने बनाया है। भारत में कई राजनीतिक हस्तियों ने सरकार पर पेगासस के जरिये उनकी जासूसी का आरोप लगाया था।

 

क्या है इसके कानून

भारत सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए सूचना प्रौद्यौगिकी अधिनियम 2000 पारित किया था, साथ ही IPC की धाराओं में भी कुछ प्रावधान किए गए। सूचना प्रौद्यौगिकी अधिनियम 2000 की धाराऐं 43 43ए, 66 66बी, 66सी, 66डी, 66ई, 66 एफ, 67, 67ए, 67बी, 70, 72, 72ए और हैकिंग व साइबर क्राइम से संबंधित है। इसके अलावा 2013 में सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की, जिसमें अतिसंवेदनशील मुद्दों के संरक्षण को लेकर मसौदा तैयार किया गया। इसके तहत 2 वर्ष की सजा से लेकर उम्रकैद, दंड और जुर्माने का भी प्राविधान है। वहीं 2020 में गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए भारतीय अपराध समन्वय केन्द्र का उद्घाटन किया गया। इसके अलावा भारत इस सिलसिले में अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के साथ भी समन्वय भी कर रहा है।

 

16 मार्च 2022 को लोकसभा में एक प्रश्न का जबाव देते हुए कनिष्ठ सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने साइबर अपराधों से छुटकारा पाने के लिए सरकार की कई नीतियों का हवाला दिया, साथ ही अपने और सरकार के आगे भी जारी प्रयासों को लेकर प्रतिबध्दता दिखाई। हांलांकि ये आंकड़ा भी चौंकाने वाला है कि सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही साइबर सेल है, जबकि अधिकतर राज्यों में एक भी साइबर सेल नहीं है।

 

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इन देशों के ऐसे हैं हालात

एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में ब्राजील में 69% लोगों ने इंटरनेट से साइबर अपराध का अनुभव किया। वहीं अमेरिका में 59 प्रतिशत, न्यूजीलैण्ड में 58%, फ्रांस में 53 प्रतिशत, इटली में 50%, यूनाइटेड किंगड़म में 48 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया में 46%, जर्मनी में 45%, जबकि जापान में 32 प्रतिशत लोगों ने खुद को साइबर अपराधों से पीड़ित पाया।

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