आपको बता दें कि, भोपाल में ये तीसरी बार है, जब पुलिस इस स्तर पर हेलमेट मुहिम शुरू कर रही है। इससे पहले दोनों बार कुछ दिनों तक चली मुहिम से हेलमेट पहनने वालों का औसत बढ़कर 50-55 फीसदी तक पहुंच गया था। फिलहाल, राजधानी में सिर्फ कुल बाइक चालकों में से सिर्फ 30 फीसदी वाहन चालक ही हेलमेट लगाए नजर आ रहे हैं। तत्कालीन डीजीपी एसके राउत ने भोपाल में 10 मई 2011 से बगैर हेलमेट वाहन चलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कुछ ऐसा ही तत्कालीन भोपाल डीआईजी संतोष सिंह के समय भी हुआ। दोनों ही बार सख्ती देख लोगों ने हेलमेट पहनना शुरू कर दिया था, लेकिन देखते ही देखते कुछ दिनों के लिए चली सख्ती कम हो गई, जिसके चलते सड़कों पर यात्रा करने वाले दो पहिया वाहन चालक एक बार फिर लापरवाही बरतने लगे।
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हर महीने भरते हैं 20 लाख का चालान
राजधानी पुलिस आईटीएमएस और चैकिंग प्वाइंट लगाकर हेलमेट न पहनने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। हेलमेट न लगाने पर 250 रुपए का समन शुल्क वसूला जाता है। आईटीएमएस के जरिए हर महीने करीब 5 हजार चालान बनाए जाते हैं, जबकि चैकिंग प्वाइंट से 3 हजार। यानी बगैर हेलमेट वाहन चलाने वाले 8 हजार लोग हर महीने करीब 20 लाख रुपए समन शुल्क भर देते हैं।
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हेलमेट और सीट बेल्ट का नियम तोड़ा तो होगी सख्ती
नई नीति के तहत, एक्सीडेंट क्लेम के दौरान अब पुलिस को विवेचना में 40 से ज्यादा बिंदुओं का क्लेम फॉर्म भरना पड़ रहा है। इसमें दो बिंदु ऐसे हैं, जिनमें मृतक या घायल ने हेलमेट या सीट बेल्ट पहना था या नहीं, इसे भी स्पष्ट भरना होगा। मामले को लेकर डीसीपी ट्रैफिक हंसराज सिंह का कहना है कि, पुलिस सोमवार से हेलमेट और सीट बेल्ट के नियम को लेकर सख्ती शुरु करने वाली है। फिलहाल, मौजूदा समय में लाउडस्पीकर पर नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं।