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रामभक्त हनुमानजी की ये मूर्तियां करती हैं अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी, ऐसे समझें…

कलयुग में हनुमान जी Ram Bhakt Hanuman ही एकमात्र जाग्रत देव!…

भोपालNov 26, 2018 / 03:09 pm

दीपेश तिवारी

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रामभक्त हनुमानजी की ये मूर्तियां करती हैं अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी, ऐसे समझें…

भोपाल। सनातन धर्म में कलयुग के दृष्य देवों में पंचदेवों में केवल सूर्य को माना जाता है। वहीं कलयुग के मुख्य देवों में जिन्हें कलयुग का प्रमुख देव माना गया है वे हैं श्री गणेश व रामभक्त श्री हनुमान।

कल यानि 27 नवंबर को मंगलवार है और उसके अगले दिन बुधवार, सनातन धर्म के अनुसार मंगलवार को श्री हनुमान व उसके बाद यानि बुधवार को श्रीगणेश का दिन माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको रामभक्त श्री हनुमान से जुड़ी कुछ खास और गोपनीय बातें hanuman ji ki kis murti se kon sa fal milta hai बताने जा रहे हैं।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार किसी भी देव की मूर्ति हमें उचित फल ही प्रदान करती है। ऐसे में कलयुग के जाग्रत देव होने के चलते प्रत्येक व्यक्ति को हनुमानजी की भक्ति अवश्य करनी चाहिए।

मान्यता के अनुसार कलयुग में हनुमान ही एकमात्र जाग्रत देव hanuman ji ki kis murti se kon sa fal milta hai हैं। उनका चारों युग में प्रताप है। उनकी भक्ति से व्यक्ति के भीतर साहस और आत्मविश्‍वास का संचार होता है।

हनुमानजी की भक्ति हर संकट से बचाती है। भक्तों ने अपनी भक्ति के चलते हनुमानजी के अलग-अलग रूप को पूजनीय बनाया है।

वहीं पंडित शर्मा के अनुसार मान्यता है कि हनुमानजी की भिन्न-भिन्न मूर्तियों की उपासना से भिन्न-भिन्न फल hanuman ji ki kis murti se kon sa fal milta hai की प्राप्ति होती है। वैसे हनुमाजी की और भी कई मुखों वाली मूर्तियां हैं, लेकिन आज हम आपको 11 मुख वाले हनुमाजी की मूर्तियों की उपासना के लाभ के बारे में बता रहे हैं।
ये है मुर्ति का प्रभाव!…hanuman ji ki kis murti se kon sa fal milta hai

1. पूर्वमुखी हनुमान :
पूर्व की तरफ जो मुंह है उसे ‘वानर’ कहा गया है। जिसकी प्रभा करोड़ों सूर्यो के तेज समान हैं। मान्यता है कि इनका पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है। इस मुख का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय पाई जा सकती है।
2.पश्चिममुखी हनुमान :
पश्चिम की तरफ जो मुंह है उसे ‘गरूड़’ कहा गया है। यह रूप संकटमोचन माना गया है। जिस प्रकार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ अजर-अमर हैं उसी तरह इनको भी अजर-अमर माना गया है।

3. उत्तरामुखी हनुमान :
उत्तर दिशा देवताओं की मानी जाती है। यही कारण है कि शुभ और मंगल की कामना उत्तरामुखी हनुमान की उपासना से पूरी होती है। उत्तर की तरफ जो मुंह है उसे ‘शूकर’ कहा गया है। मान्यता है कि इनकी उपासना करने से अबाध धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु तथा निरोगी काया प्राप्त होती है।

4. दक्षिणामुखी हनुमान :
दक्षिण की तरफ जो मुंह है उसे ‘भगवान नृसिंह’ कहा गया है। माना जाता है कि यह रूप अपने उपासकों को भय, चिंता और परेशानियों से मुक्त करवाता है। दक्षिण दिशा में सभी तरह की बुरी शक्तियों के अलावा यह दिशा काल की दिशा मानी जाती है। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है, ऐसे में मान्यता है कि दक्षिणमुखी हनुमान की पूजा करने पर मृत्यु, भय और चिंताएं समाप्त होती हैं।

यदि आप अपने घर में उत्तर की दीवार पर हनुमानजी का चित्र लगाएंगे तो उनका मुख दक्षिण की दिशा में होगा। मान्यता है कि दक्षिण में उनका मुख होने से वह सभी तरह की बुरी शक्तियों से हमें बचाते हैं। इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की साधना काल, भय, संकट और चिंता का नाश करने वाली होती है।

5. ऊर्ध्वमुख हनुमान :
हनुमानजी का ऊर्ध्वमुख रूप ‘घोड़े’ के समरूप है। यह स्वरूप ब्रह्माजी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे।

6.पंचमुखी हनुमान :
राम लक्ष्मण को अहिरावण से मुक्त कराने के लिए हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण किया था। पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा, इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।

उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख।

वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्धि होती है।


7.एकादशी हनुमान :
श्रीहनुमानजी रुद्र यानी शिव के ही ग्यारहवें अवतार माने गए हैं। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख नामक एक भयानक बलवान राक्षस का वध करने के लिए श्रीराम की आज्ञा से हनुमानजी ने एकादश मुख रूप ग्रहण करके चैत्र पूर्णिमा (हनमान जयंती) को शनिश्चर के दिन उस राक्षस का उसकी सेना सहित वध कर दिया था।

 

मान्यता है कि एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा से सभी देवी और देवताओं की उपासना के फल मिलते हैं।

8.वीर हनुमान :
जैसा की नाम से ही विदित है कि इस नाम से हनुमानजी की प्रतिमा की पूजा जीवन में साहस, बल, पराक्रम और आत्मविश्वास प्रदान कर सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करती है।

9. भक्त हनुमान :
राम की भक्ति करते हुए आपने हनुमानी का चित्र या मूर्ति देखी होगी। माना जाता है कि इस चित्र या मूर्ति की पूजा से जीवन के लक्ष्य को पाने में आ रहीं अड़चनें दूर होती है। साथ ही यह भक्ति जरूरी एकाग्रता और लगन देने वाली होती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी हाथ में करताल लेकर राम की भक्ति करते नजर आएंगे।

10. दास हनुमान :
हनुमानजी भगवान श्रीराम के दास हैं। सदा रामकाज करने को आतुर रहते हैं। मान्यता है कि दास हनुमान की आराधना से व्यक्ति के भीतर सेवा और समर्पण की भावना का विकास होता है। धर्म, कार्य और रिश्तों के प्रति समर्पण और सेवा होने से ही सफलता मिलती है। इस मूर्ति या चित्र में हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं।


11. सूर्यमुखी हनुमान :
शास्त्रों के मुताबिक श्रीहनुमान के गुरु सूर्यदेव हैं। सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर जगत को प्रकाशित करता है। ऐसे में माना जाता है कि सूर्यमुखी हनुमान की उपासना से ज्ञान, विद्या, ख्याति, उन्नति और सम्मान मिलता है। सूर्यमुखी हनुमान को ही पूर्वमुखी हनुमान भी कहते हैं।

हनुमान जी की ये तस्वीरें घर पर लगाने से बचें…

1. ऐसा चित्र, जिसमें हनुमान जी ने अपनी छाती फाड़ रखी हो।

2. हनुमान जी जिसमें संजिवनी लेकर उड़ रहे हों।

3. दुष्टों का दलन की मुद्रा वाला चित्र।

4. राम-लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाए उड़ रहे हों।

5. लंका दहन कर रहे हों।

 

हनुमाजी के ये चित्र या फोटो अवश्य लगाए…

1. हनुमानजी की ऐसी फोटो की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वे श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की आराधना कर रहे हों।

2. हनुमानजी की ऐसी फोटो की पूजा करें, जिसमें उनका स्वरूप सफेद हों।

3. हनुमानजी की ऐसी मूर्ति की पूजा करें जिसमें वह श्रीराम की भक्ति में लीन दिखाई देते हैं।

4. हनुमानजी की ऐसी मूर्ति जिसमें वह श्रीराम की सेवा में लीन दिखाई देते हैं।

5. जिस तस्वीर में हनुमानजी सूर्य की पूजा कर रहे हैं या सूर्य की ओर देख रहे हैं।

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