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इतने संघर्ष के बाद भी सरकार गंभीर नहीं
गौरतलब है कि अतिथि शिक्षक विगत तेरह सालों से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। आर्थिक तंगी और असुरक्षित भविष्य के कारण अब तक करीब 55 अतिथि शिक्षक आत्महत्या कर चुके हैं। अतिथि शिक्षकों के समर्थन में 150 से अधिक विधायक सांसद मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। फिर भी सरकार अतिथि शिक्षकों के हित में गंभीर कदम लेने को तैयार नहीं है। सैकड़ों बार निवेदन के बाद भी अतिथि शिक्षकों की समस्यायों का निराकरण नहीं किया जा रहा है।