यह नियम एक जुलाई से लागू हो जाएंगे। अब जो पदार्थ इन नियमों के अंतर्गत आएंगे , वही इन शब्दों का उपयोग कर सकेंगे। नियमों का पालन ना करने या भ्रामक जानकारी देने पर कंपनी पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना किया जाएगा।
इस साल 110 से ज्यादा मिसब्रांड नमूने मिल चुके हैं। ज्यादातर मामले तेल-घी, मिठाई, दूध और मसालों के हैं। इस तरह के केस तेजी से बढ़ रहे हैं,जिन पर नकेल कसी जा रही है।
खाद्य पदार्थों को लेकर दी जा रही भ्रामक जानकारी रोकने केन्द्र सरकार ने उठाया कदम, पूरे देश में एक जुलाई से लागू होगा नियम
इन नियमों से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को और प्रभावी बनाया जा सकेगा। जो निर्माता इनका पालन नहीं करेंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई होगी।
– बृजेश सक्सेना,संयुक्त नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि विभाग
फूड कंटेंट की भी जानकारी देनी होगी
अब खाद्य पदार्थों के विज्ञापन में भी निर्माता को फूड कंटेंट की जानकारी देनी होगी। जैसे किसी शीतल पेय में कलर या फूड ऐसेंस का प्रयोग हुआ है तो उसे 100त्न प्राकृतिक नहीं लिखा जा सकता। कंपनी को बताना होगा कि खाद्य पदार्थ में फूड एसेंस का प्रयोग किया गया है।
कंपनियों के लिए नियम
प्राकृतिक: पौधे, मिनरल या जानवरों से प्राप्त खाद्य पदार्थों पर ही प्राकृतिक लिखा जाएगा।
वास्तविक- स्रोत की जानकारी मिले,उसी उत्पाद के साथ इस शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पारंपरिक: पदार्थ कम से कम 30 साल से एक ही फॉर्मूले और तकनीक से तैयार किया जा रहा है।