पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमारी सरकार गिराने में कोई रूचि नहीं है। लेकिन कमलनाथ सरकार चलती का नाम गाड़ी है, जब तक चलेगी, तब तक चलेगी। लेकिन हमेशा गाड़ी का चालक बनने की होड़ सी लगी रहती है। कोई मध्यप्रदेश की जनता को यह बताए कि गाड़ी का असली चालक कौन है। अब या तो चालक आपस में लड़कर गाड़ी का एक्सीडेंट करवा देंगे या फिर गाड़ी के कलपुर्जे ही टूट-टूट कर बिखर जाएंगे। मैं चाहता हूं कि वे मस्त होकर सरकार चलाएं।
दरअसल, मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यावही के दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि हमारे ऊपर वाले नंबर एक या नंबर दो का आदेश हुआ तो चौबीस घंटे भी इनकी सरकार नहीं चली। इस बयान के बाद सदन में खलबली मच गई। गोपाल भार्गव के बयान के बाद ही सदन में बीजेपी पर सीएम कमलनाथ बरसे। उन्होंने कहा कि स्वार्थों के आधार पर बनी सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगी। अब सरकार को गिरने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। अगर सरकार गिरेगी तो मजबूरी हमें तैयारी करनी पड़ेगी।
विधानसभा में सीएम कमलनाथ ने कहा कि रोज-रोज बोलते हैं कि अल्पमत में सरकार है। अगर ऐसी बात है तो सदन में आज ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए। इनके नंबर एक और नंबर दो ज्यादा समझदार हैं। यहां बैठे लोग बिकाऊ नहीं हैं। आज ही अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए विपक्ष। सरकार पूरे पांच साल तक अपने दम पर चलेगी।
वहीं, सरकार को समर्थन दे रही बसपा विधायक रामबाई बोलीं कि हमलोग कमलनाथ के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं। कोई भी इनकी सरकार को नहीं गिरा सकता है। बसपा पूरी तरह से कमलनाथजी के साथ खड़ी है। हमलोग एक बिल्कुल अंगद की तरह खड़े हैं। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने भी कहा है कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है। हम सभी लोग कमलनाथजी के साथ खड़े हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 विधायकों में से कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। यह सरकार चार निर्दलियों, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक के समर्थन से चल रही है। जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। सियासी जानकारों को लगता है कि कमलनाथ सरकार इस बात को लेकर सचेत है। क्योंकि पिछले दिनों 11 दिन के अंदर ही तीन बार सीएम ने विधायकों की बैठक ली थी।