दरअसल, यह निर्णय केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा लिया गया है। इस निर्णय में गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (minimum export price) भी निर्धारित किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने पारबाइल्ड और ब्राउन चावल पर निर्यात शुल्क को 20 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
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केंद्र सरकार की फैसले से किसानों को अंतराष्ट्रीय बाजार में अधिक लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है। इस निर्णय से न केवल राज्य के चावल उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी बल्कि जनजातीय क्षेत्रों के उत्पादों को भी वैश्विक पहचान मिलेगी। मध्य प्रदेश के प्रमुख चावल उत्पादन क्षेत्रों में
जबलपुर,
मंडला,
बालाघाट और
सिवनी शामिल हैं जो अपनी उच्च गुणवत्ता वाले जैविक और सुगंधित चावल के लिए जाने जाते है। मंडला और डिंडोरी के जनजातीय क्षेत्रों का सुगंधित चावल और बालाघाट के चिन्नौर चावल को जीआई टैग प्राप्त है।
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मध्यप्रदेश से चावल के प्रमुख निर्यात बाजारों में चीन, अमेरिका, यूएई और यूरोप के कई देश शामिल हैं। बता दें कि, पिछले 2015-2024 के बीच में मध्य प्रदेश से 12,706 करोड़ रुपये के चावल का देश और विदेश निर्यात हुआ है। अगर बात चालू वर्ष 2024 की करें तो इसमें 3,634 करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक रहा है।
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केंद्र सरकार ने पिछले साल 2023 के जुलाई महीने में गैर-बासमती चावल और अगस्त 2023 को बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने यह फैसला उस समय बारिश की अनियमितता के कारण धान की फसल का नुकसान होने की वजह से लिया गया था। धान की पैदावार करने वाले प्रमुख राज्य कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में कम बारिश के कारण धान की पैदावर प्रभावित हुई थी। इसी वजह से आने वाले दिनों में चावल की कमी और कीमतों में तेजी की आशंका को देखते हुए सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया था।