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भोपाल

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी कब है और कैसे करें पूजा-अर्चना, इन बातों का रखें ध्यान

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना के लिये भव्य तैयारी की जा रही। ध्यान रखें कि – गणेशजी की मूर्ति की स्थापित करने के सबसे पहले लाल वस्त्र चौकी पर बिछा लें।

भोपालAug 25, 2019 / 03:01 pm

KRISHNAKANT SHUKLA

Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi:

Ganesh Chaturthi: इस बार गणेश चतुर्थी 2 सितंबर 2019 को है। देशभर में गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना के लिये भव्य तैयारी की जा रही। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भगवान गणेश की सबसे ऊंची मूर्ति तैयार की जा रही। भगवान गणेश की पूजा हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्य में सर्व प्रथम की जाती है। गणेश चतुर्थी से पहले पूजा की तैयारी करने के लिये इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
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स्थापना से पहले इकट्ठा कर लें

गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की स्थापना करने से पहले पूजा के लिए गणेश प्रतिमा, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत, कलावा जनेऊ, इलाइची, नारियल, चांदी का वर्क, सुपारी, लौंग पंचमेवा, घी कपूर, पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, गंगाजल पहले से इकट्ठा कर लें। पंडित श्याम नारायण मिश्र द्वारा गणेश पूजन के लिये इस बार शुभ मुहूर्त – दोपहर 11:04 बजे से 1:37 बजे तक रहेगा।

 

 

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ऐसे करें गणेशजी की मूर्ति की स्थापना

देवो के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापित करने के सबसे पहले लाल वस्त्र चौकी पर बिछा लें। इस पर अक्षत छिड़कें और ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें। इसके पश्चात पान के पत्तों से गंगाजल लें और भगवान गणेश को नहलाएं। गणपति बप्पा को हमेशा पीले वस्त्र पहनाने चाहिए। ऐसे में उन्हें पीला कपड़ा अर्पित करें और गले में मोती की माला डालें। इसके बाद अक्षत और फूल भी चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में घर के बने मोदक हों तो ज्यादा अच्छा है। भगवान गणेश को मोदक बहुत पसंद है इसलिए भोग में मोदक ही चढ़ाएं।

 

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ऐसे करें गणेशजी की पूजा

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

गणपति की मूर्ति की जहां स्थापना हुई है उसके पास तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर रखें। कलश गणपित के दांई ओर होना चाहिए। इस कलश के नीचे चावल या अक्षत रखें और इसपर मोती अवश्य बांधें। गणपति के बांई तरफ चावल के ऊपर घी का दिया अवश्य जलाएं। पूजा और माला जपने का समय एक रखेंगे तो मनचाहा लाभ होगा। इसके बाद भगवान की आरती करें।

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