scriptGanesh Chaturthi : Most Famous Lord Ganesha इस गणेश चतुर्थी पर गणेश जी के इन स्वरूपों से करें आह्वान…आओ आओ गजानन जी महाराज | Ganesh Chaturthi 2023 Lord Ganesha famus temple of mp bada ganesh mandir ujjain khajrana mandir indore chintaman mandir sehore chintaman mandir ujjan ganpati temples in mp | Patrika News
भोपाल

Ganesh Chaturthi : Most Famous Lord Ganesha इस गणेश चतुर्थी पर गणेश जी के इन स्वरूपों से करें आह्वान…आओ आओ गजानन जी महाराज

Most Famous Lord Ganesha Temple : यह खबर लिखते-लिखते आइडिया आया कि क्यों न इस बार एमपी के मंदिरों में विराजे भगवान श्रीगणेश के किसी एक रूप से ही आह्वान किया जाए कि वो हमारे घर आएं और हम सभी पर अपनी कृपा बनाएं रखें। और सोचिए कितना सौभाग्य होगा हमारा कि ऐसा हो भी जाए कि हमारा आह्वान स्वीकार कर वे दौड़े चले आएं… खबर को ध्यान से पढि़एगा और बताइएगा जरूर कि आप इस बार गणपति जी के किस रूप का आह्वान करने वाले हैं…

भोपालSep 19, 2023 / 11:38 am

Sanjana Kumar

ganesh_chaturthi_lord_ganesha_famous_temple_of_mp.jpg

Most Famous Lord Ganesha Temple : आओ आओ गजानन जी महाराज हमारे द्वारे, रिद्धी-सिद्धि के दाता तुम हो, शुभ और लाभ दिखाओ आओ-आओ गजानन महाराज…ऐसा ही कोई न कोई भजन आजकल आपके होठों पर सज रहा होगा ना… धीमा-धीमा स्वर ही सही आपके घर-आंगन में भगवान श्री गणेश के आगमन की झंकार बिखेर रहा होगा ना…। जीहां गणेश चतुर्थी जो है। गणेश चतुर्थी का हर किसी को बेसब्री से इंतजार था। और आज वो दिन आ ही गया। गजानन जी आपके द्वार पधारेंगे और आपके घर में विराजेंगे। 11 दिन पलक-पावड़े बिछाकर सच्ची श्रद्धा के साथ गजानन की सेवा में लगने का समय है। मौके की इस नजाकत को समझते हुए आज हम आपको बता रहे हैं भगवान श्रीगणेश के उन फेमस मंदिरों के बारे में जो MP में भले ही स्थापित हैं, लेकिन देश-दुनिया में इनका इतना नाम है कि एमपी आने वाले लोग इन गणेश मंदिरों में दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं।

इन मंदिरों की आम जन के बीच मान्यता, विश्वास और रोचक कहानियां भक्तों को यहां खींच ही लाती हैं। यह खबर लिखते-लिखते आइडिया आया कि क्यों न इस बार एमपी के मंदिरों में विराजे भगवान श्रीगणेश के किसी एक स्वरूप से ही आह्वान किया जाए कि वो हमारे घर आएं और हम सभी पर अपनी कृपा बनाएं रखें। और सोचिए कितना सौभाग्य होगा हमारा कि ऐसा हो भी जाए कि हमारा आह्वान स्वीकार कर वे दौड़े चले आएं… खबर को ध्यान से पढ़िएगा और बताइएगा जरूर कि आपने इस बार गणपति जी के किस स्वरूप का आह्वान किया है…

bade_ganesh_mandir_ujjain.jpg

1. बड़ा गणेश मंदिर, उज्जैन

सबसे पहले हम बात करते हैं धार्मिक नगरी, महाकाल की नगरी उज्जैन की। धार्मिक नगरी इसलिए कि यहां हर गली-मोहल्ले में छोटे-बड़े मंदिर स्थापित हैं। इससे इतर गणेश मंदिर की बात करें तो उज्जैन का बड़ा गणेश मंदिर सबसे अनोखा और मशहूर मंदिर है। यह मंदिर मकालेश्वर मंदिर के पास ही स्थित है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर प्रशासन यह भी दावा करता है कि दुनिया में अगर सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा कहीं है तो वो इसी मंदिर की है। गणेशजी के इस विशाल रूप के कारण ही इस मंदिर को बड़ा गणेश मंदिर कहा जाता है। लाल रंग की यह विशाल गणेश अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजे हैं। वहीं इस मंदिर की खासियत यह भी है कि यहां गणपति जी के साथ पंचमुखी हनुमान जी भी विराजे हैं।

बड़ा गणेश मंदिर के ये रोचक फैक्ट जरूर जानें

* बड़ा गणेश मंदिर उज्जैन में स्थापित विशाल प्रतिमा सीमेंट, किसी पत्थर का यूज करके नहीं बल्कि गुड़ और मेथी के दानों से बनी है।

* आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि इस मूर्ति को तैयार करने में पवित्र तीर्थ स्थलों के जल का इस्तेमाल किया गया है। वहीं सात मोक्षपुरियों यानि मथुरा, द्वारिका, अयोध्या, कांची, उज्जैन, काशी और हरिद्वार से लाई गई मिट्टी को तैयार कर यह प्रतिमा तैयार की गई।

* बड़ा गणेश की इस प्रतिमा को बनाने में ढाई साल का समय लगा था।

* इस मंदिर में स्थापित यह प्रतिमा महर्षि गुरु महाराज सिद्धांत ने करवाई थी।

* प्रतिमा लगभग 18 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी है।

* प्रतिमा की खासियत यह है कि भगवान गणेश की सूंड दक्षिणावर्ती है।

* प्रतिमा के मस्तक पर त्रिशूल और स्वास्तिक बना हुआ है।

* दाहिनी ओर घूमी हुई सूंड में एक गणपति जी ने लड्डू दबा रखा है।

* गणपति जी के कान विशाल हैं।

* गले में फूलों की माला है और ऊपरी हाथ जप मुद्रा में तो नीचे के दाएं हाथ मं माला और बाएं हाथ में लड्डुओं से भरा थाल है।

chintaman_ganesh_mandir_ujjain.jpg

2. उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर

आपको बता दें कि उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर भी देशभर में मशहूर है। इतिहास पर नजर डालें तो इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में हुआ। यहां पाती के लगन लिखाने और विवाह कराने की अनूठी परंपरा है।

जानिए ये Interesting फैक्ट

* यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमीटर की दूरी पर है।

* यह प्राचीन मंदिर चिंतामण गणेश के नाम से प्रसिद्ध है।

* गणेश जी के इस प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं।

* गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाएं गर्भगृह में प्रवेश करते ही दिखाई देती हैं, यहां पार्वतीनंदन तीन रूपों में विराजमान हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक।

* मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना खुद भगवान श्रीराम ने की थी। उन्हीं के हाथों से यहां गणेश जी के तीन रूप स्थापित हैं।

* भगवान श्री राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी इस क्षण उनके साथ मौजूद थे।

* मान्यता है कि जो भी भक्त यहां दर्शन करने आता है उसकी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं और वह खुशहाल जीवन जीने लगता है। बुधवार के दिन यहां श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। तो गणेश चतुर्थी के दिन से 11 दिन तक भक्त इनकी मेहमानवाजी करने आते हैं।

* मान्यता है कि जिन के लगन नहीं निकल रहे, उनके विवाह बिना मुहूर्त के यहां कराए जाते हैं।

* जिनके विवाह में बाधा आती है, वे यहां मन्नत मांगते हैं, साथ ही विवाह तय हो जाने पर परिसर में फेरे लेते हैं।

* विवाह के आयोजन के पहले श्रद्धालु निर्विघ्न विवाह के लिए चिंतामण गणेश को मना कर घर ले जाते हैं।

* विवाह हो जाने पर परिजन वर-वधु को आशीर्वाद दिलाने यहां लाते हैं तथा चिंतामणजी की पूजा-आराधना कर कृतज्ञता व्यक्तकरते हैं।

* यहां विवाह करने के लिए हर साल 300 से ज्यादा जोड़े पहुंचते हैं।

khajrana_mandir_indore.jpg

3. खजराना गणेश मंदिर, इंदौर

माना जाता है कि खजराना गणेश मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा पास ही स्थित एक बावड़ी में मिली थी। 1735 में यहां जीर्णोद्धार शुरू हुआ था। तब होलकर घराने की इच्छा थी कि प्रतिमा को राजबाड़ा लेकर आएं और यहां मंदिर बनाकर स्थापित करें। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि खजराना मंदिर में स्थापित गणेश मंदिर की प्रतिमा को कोई उठाना तो दूर हिला तक नहीं सका। इसलिए इसे गणपति जी कि इच्छा मानकर हमेशा के लिए यही स्थापित कर दिया गया।

* वहीं एक कहानी यह भी है कि एक होलकर वंश की महारानी अहिल्याबाई के राज में स्थानीय पंडित मंगल भट्ट को सपने में भगवान गणेश ने दर्शन देकर उन्हें मंदिर निर्माण के लिए कहा था।

* पंडित ने अपने सपने के बारे में जब रानी अहिल्याबाई होलकर को बताया, तो रानी ने पंडित की इस बात को गंभीरता से लिया और सपने में दिखाई दी जगह पर खुदाई करवाई।

* खुदाई के दौरान ठीक वैसी ही गणेश प्रतिमा मिली जैसी पंडित को सपने में दिखाई दी थी। इसके बाद मंदिर का निर्माण करवाया गया।

पढ़ें ये इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स

* जिस बावड़ी से गणपति जी की प्रतिमा मिली थी, यह बावड़ी आज भी उसी स्वरूप में यहां विद्यमान है।

* यह प्रतिमा परमार कालीन है।

* यहां गणेश जी 65 किलो चांदी के सिंहासन पर विराजे हैं। यह सिंहासन खासतौर पर जयपुर से बनवाया गया है।

* यहां के अन्न क्षेत्र में हर दिन 1800 लोग नि:शुल्क भोजन करते हैं।

* यह मंदिर इसलिए भी भक्तों में खासा लोकप्रिय है कि भगवान गणेश की कृपा से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।

* मान्यताओं के अनुसार श्रद्धालु इस मंदिर की तीन परिक्रमा लगाते हैं और मंदिर की दीवार पर धागा बांधते हैं।

* जिस भक्त की मुराद यहां पूरी होती है, वह गणेश जी की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाता है और गणपति जी को लड्डुओं या मोदक का भोग लगाता है।

* इस मंदिर में गणपति केवल सिंदूर से ही स्थापित किए गए हैं।

pohari_ganesh_mandir_mp_famous_ganesh_temple.jpg

4. पोहरी गणेश मंदिर, शिवपुरी

यह गणेश मंदिर शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील के किले में स्थापित है, जो जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है। गणेशजी यहां इच्छापूर्ण गणेश जी के नाम से जाने जाते हैं। इन्हें भक्त श्रीजी के नाम से भी पुकारते हैं। कहा जाता है कि यहां भगवान गणेश जागृत अवस्था में हैं और यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी करते हैं।

जानिए ये इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स

* किले में इस मंदिर का निर्माण निर्माण 286 साल पहले सन 1737 में तत्कालीन सिंधिया स्टेट की जागीरदार बालाबाई सीतोले ने कराया था।

* इसके लिए सुतोले खुद ही पुणे से मूर्ति लेकर यहां आई थी और उन्होंने किले में कुछ इस तरह स्थापित करवाई थी कि वे खिड़की से झांकती थीं, तो उन्हें गणपति जी के दर्शन होते थे।

* मंदिर की मान्यता है कि मंदिर में जो भी भक्त नारियल चढ़ाकर मनोकामना मांगते हैं, गणपति बप्पा उसे जरूर पूरा करते हैं।

* मान्यता है कि जिन युवक-युवती का विवाह नहीं हो पा रहा हो, वे यहां आकर श्रीगणेश से गुहार लगाते हुए उन्हें नारियल चढ़ाएं, तो उनकी शादी जल्दी हो जाती है।

* वहीं भक्तों की आस्था है कि यहां आने वाले भक्त को श्रीगणेश से अपने मन की बात कहने की जरूरत भी नहीं पड़ती, बस भक्त गणपति की आंखों में निहार भर ले तो गणेश जी उसके मन की बात समझ जाते हैं और उसे पूरी करते हैं।

chintaman_ganesh_mandir_sehore.jpg

5. चिंतामन गणेश मंदिर, सीहोर

मान्यता है कि सीहोर के चिंतामन गणेश मंदिर में जो भी निराश, खाली हाथ आता है, भगवान गणेश उसे खाली हाथ और उदास लौटने नहीं देते। बल्कि गणपति भक्त को ऐसा आशीर्वाद देते हैं कि उसे पता भी नहीं चलता और उसकी जिंदगी के बुरे दिन तर जाते हैं। खुशियां कब उसके आंगन में दस्तक देना शुरू कर देती हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि 2000 साल पहले उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने एक सपना देखा था। उन्हें सपने में गणेश जी ने कहा था कि क्यों मेरे दर्शन करने इतनी दूर रणथम्भोर जाते हो। मैं तुम्हें पुष्प के रूप में पार्वती नदी के काहरी पर मिलूंगा। राजा रात में ही उज्जैन से काहरी पहुंचे। उन्होंने रात में फूल रखा और जैसे ही आगे बढऩे के लिए तैयार हुए, वैसे ही आकाशवाणी हुई कि राजन रात में तुम इस पुष्प को जहां तक ले जा सकते हो, ले जाओ, लेकिन सूर्योदय होते ही ये आगे नहीं बढ़ेगा। चलते-चलते थोड़ी देर बाद सूर्य उदय हो गया और रथ के पहिए जमीन में धंस गए। इसके बाद वे फूल गणेश जी की प्रतिमा में बदल गया और जमीन पर स्थापित हो गया।

पढ़ें ये रोचक फैक्ट्स

* इस मंदिर में जो भी मुराद मांगता है, वह मुराद बोलते समय उल्टा स्वास्तिक बनाता है और जब मुराद पूरी हो जाए तो गणपति जी को धन्यवाद कहने जरूर आता है। प्रसाद भोग आदि चढ़ाकर सीधा स्वास्तिक बनाकर यहां से जाता है।

* इस मंदिर की खासियत यह भी है कि इस मंदिर को देश के चार स्वयंभू प्रतिमाओं में से यहां स्थापित प्रतिमा भी एक है।

6. कल्कि गणेश मंदिर, जबलपुर

मप्र में जबलपुर में एक ऐसा गणेश मंदिर है, जहां भगवान गणेश मूषक पर नहीं बल्कि घोड़े पर विराजमान हैं। गणेश जी के इस स्वरूप का नाम है ‘कल्कि गणेश।’ मान्यता है कि कलयुग में कल्कि अवतार का साथ देने के लिए प्रकट होंगे।

7. महागणपति, भोपाल

मप्र की राजधानी भोपाल में महागणपति का मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देशभर में इस नाम के केवल दो ही मंदिर हैं। एक मंदिर जो भोपाल में है और दूसरा मंदिर पुणे में है।

behat_ganesh_mandir_gwalior.jpg

8. बेहट गणपति मंदिर, ग्वालियर

बेहट गणेश मंदिर भी देशभर में मशहूर है। इंट्रेस्टिंग यह है कि महान संगीतकार, गायक तानसेन ने यहीं बैठकर संगीत की साधना की थी। आपको बता दें कि तानसेन के परिजन और उनके गांव के लोग आज भी बताते हैं कि तानसेन बचपन में हकलाते थे और उनके पिता उन्हें इसी गणेश मंदिर में रियाज या प्रेक्टिस करने के लिए लाया करते थे। इसलिए माना जाता है तानसेन को जो सुर-साधना मिली जो आवाज और रूहानियत मिली वो गणेश जी की कृपा से ही मिली। 8. सिद्धेश्वर गणेश मंदिर, छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लॉक में गांव तुर्कीखापा-अडवार नदी के तट पर प्राचीन सिद्धेश्वर गणेश भगवान की मूर्ति विराजमान है।

9. सिद्धेश्वर गणेश मंदिर, छिंदवाड़ा

जिले के मोहखेड़ ब्लॉक में गांव तुर्कीखापा-अडवार नदी के तट पर प्राचीन सिद्धेश्वर गणेश भगवान की मूर्ति विराजमान है।

ये भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi : गणेश स्थापना के बाद आज जरूर कर लें ये काम जागेगा सौभाग्य, Career, Job, Business में मिलेगी तरक्की

Hindi News / Bhopal / Ganesh Chaturthi : Most Famous Lord Ganesha इस गणेश चतुर्थी पर गणेश जी के इन स्वरूपों से करें आह्वान…आओ आओ गजानन जी महाराज

ट्रेंडिंग वीडियो