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2016 में हुई थी सबसे अधिक बरसात
2019 में शहर पर मानसून मेहरबान है, अगस्त महीना आधा बीतने तक ही आंकड़ा सामान्य कोटे से ऊपर पहुंच चुका है। वहीं आगामी दिनों में लगातार अच्छी बारिश की उम्मीद है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एसके नायक ने बताया कि मानसून पैटर्न बदल रहा है, अब मानसून सितम्बर तक सक्रिय रह रहा है वहीं एक्सट्रीम इवेंट भी ज्यादा हो रहे हैं, ऐसे में एक या दो सिस्टम भी अच्छी बरसात करा गए तो 2014 के आंकड़े तक भी आंकड़ा पहुंच सकता है। गौरतलब है कि 2016 में कुल 1431.5 मिमी बरसात दर्ज की गई थी जो पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा है।
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जुलाई से शुरू हुई अलनीनो में गिरावट
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एसके नायक का मानना है कि 2019 का मानसून परिस्थितियों में बदलाव का उम्दा उदाहरण है। अलनीनो के साथ सकारात्मक आईओडी और एमजेओ (मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन, एक समुद्री पैरामीटर) जिम्मेदार हैं। आईओडी की प्रबलता एवं अलनीनो की स्थिति में कमी से प्रदेश व देश के अधिकांश हिस्सों में सरप्लस बारिश हो रही है।
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स्काईमेट सहित अन्य एजेंसियों ने अलनीनो प्रभाव से सामान्य से कम मानसून का अनुमान जताया था। विभाग ने सामान्य मानसून की बात कही थी। जुलाई के आखिर में अलनीनो में गिरावट आनी शुरू हुई। भू-मध्यरेखीय समुद्री सतह का तापमान एसएसटी गिरने के बाद फिर से बढ़ गया, लेकिन जल्द ही गिरावट आई। लगातार तीसरे सप्ताह भी जारी रही। मौजूदा सप्ताह में एसएसटी 0.4 -0.1 डिग्री तक नीचे चला गया। यह अलनीनो के पतन का स्पष्ट संकेत है।
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वर्ष – मानसून की कुल बारिश
2008 – 695.9
2009 – 862.2
2010 – 597.7
2011 – 1230.9
2012 – 1191.9
2013 – 1320.5
2014 – 759
2015 – 164.5
2016 – 1431.5
2017 – 729.8
2018 – 806.5
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9 से बारह महीनों तक रहता है अलनीनो
अलनीनो आमतौर पर 9-12 महीनों तक रहता है। अब तक इसके नौ दौर हो चुके हैं। यह मार्च से जून तक विकसित होता है। भूमध्य रेखा पर सूर्य की निकटता से प्रशांत महासागर में वार्मिंग में वृद्धि से दिसंबर से अप्रैल तक रहता है।