अधिक वर्षा से बर्बाद हो रही फसलों के मामले को लेकर मध्यप्रदेश के कई जिलों में इन दिनों किसान सड़कों पर आने शुरू हो गए हैं। ऐसे में पिछले कुछ दिनों से राजगढ़ के किसान फसलों के सर्वे को लेकर गांव-गांव से अपनी फसलों को लेकर राजगढ़ या फिर एसडीएम कार्यालय पहुंच रहे थे, लेकिन अब तक कार्यवाही नहीं होने से नाराज भारतीय किसान यूनियन द्वारा मंगलवार को फसलों के सर्वे और मुआवजे को लेकर ज्ञापन दिया गया।
जाम लगाए बैठे किसानों ने स्कूल वाहनों और एंबुलेंस या फिर मरीजों को लेकर निकलने वाले वाहनों को तुरंत जगह देकर निकाला। लेकिन कई बसें और बाइक सहित ट्रक इस जाम में फंसे हुए थे।
यहां किसान संघ ने भी सौंपा ज्ञापन
किसान संघ ने मंडी परिसर में एक धरना प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। किसान धरने के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्टर के सामने अपनी बात रखी और फसलों का सर्वे तुरंत करने के लिए कहा।
किसान संघ और किसान यूनियन के अलावा अलग-अलग गांवों से भी किसान अपनी फसलों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उनकी संख्या लगभग 250 हो गई थी। ऊपर जहां जनसुनवाई की जा रही थी।
यहां कलेक्टर ने बताया कि जुलाई में वर्षा नहीं हुई, लेकिन अगस्त में काफी वर्षा हो जाने से फसल को नुकसान हुआ है। राजस्व की टीम गांव में काम कर रही थी और अब कृषि, राजस्व व उद्यानिकी का ज्वाइंट सर्वे किया जाएगा। सर्वे के बाद जो भी सामने आएगा उसके अनुसार बीमा कंपनियों से मुआवजा दिलाया जाएगा। प्राथमिक सर्वे में यह सामने आया है कि फसलों में अफलन की स्थिति बन रही है।
हमेशा ही जनता से दूरी बनाए रखने वाले जिला पंचायत सीईओ मृणाल मीणा भी इस धरने के दौरान वहां से निकले। लेकिन उन्होंने वहां रुकना भी या फिर किसानों को समझाना उचित नहीं समझा। इसी तरह डिप्टी कलेक्टर रोशनी वर्धमान भी निकल गईं।
यह रखीं मांगें
: बांझ फसल का तत्काल सर्वे कराते हुए उसकी एक कापी किसान को भी उपलब्ध कराई जाए।
: कांग्रेस के वचन पत्र के अनुसार किसानों का कर्ज शीघ्र माफ किया जाए।
: सरकार वचन पत्र के अनुसार गोशाला खुलवाए।
: गेहूं, चना, मसूर का बोनस तत्काल दिया जाए।
: भावांतर योजना के तहत पिछली सोयाबीन का बोनस दिलाया जाए।