प्रदेश सरकार ने मंडियों में किसानों की समस्याओं को खत्म करने अभियान चलाना भी तय किया है। कृषि विभाग ने सभी कलेक्टरों को आदेश दिए हैं कि किसान को मंडी में फसल बिक्री वाले दिन ही नकद भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रतिदिन एक फीसदी ब्याज देना अनिवार्य होगा। उस पर यदि पांच दिन तक भुगतान नहीं होता है तो व्यापारी का लाइसेंस रद्द किया जाएगा। इसका क्रियान्वयन जांचने के लिए रेंडम जांच की जाएगी। इसमें यदि कोई किसान मंडी से बिना भुगतान लिए लौटता मिलता है तो उसे तुरंत रोककर भुगतान कराना होगा। ऐसा नहीं होने पर व्यापारी का लाइसेंस रद्द किया जा सकेगा।
– भाजपा की बड़े आंदोलन की तैयारी
कांग्रेस की बढ़ती मुश्किलों के बीच भाजपा ने किसानों को साथ लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा ने इसके लिए किसान मोर्चे के प्रतिनिधियों को फील्ड में सक्रिय कर दिया है। पार्टी का फोकस कर्जमाफी पर कांग्रेस सरकार की विफलता है। इसमें कर्जमाफी की पात्रता रखने के बावजूद इसका फायदा न मिलने वाले किसानों को साथ लेकर भाजपा आंदोलन करेगी। भाजपा की कोशिश है कि किसानों के बड़े आंदोलन के जरिए सूबे में कांग्रेस को विपक्ष की ताकत दिखाई जाए। साथ ही निकाय और पंचायत चुनाव के लिए बड़ा प्लेटफार्म भी तैयार कर लिया जाए।
– सियासत की धूरी क्यों हैं किसान
सूबे में 74 फीसदी आबादी किसानों की है। इस लिहाज से किसान सबसे बड़ा वर्ग है, जिसे वोटबैंक के लिए राजनीतिक पार्टियां साधती हंै। सूबे की 230 विधानसभा सीटों में से करीब 200 सीटें किसान बाहुल्य हैं। जब जून 2017 में किसान आंदोलन हुआ तो मंदसौर में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई। इसके बाद से ही किसानों पर लगातार सियासत गर्म रही। नवंबर 2018 में चुनाव आए तो कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी के दांव से सत्ता पलट दी। कांग्रेस ने सरकार बनाई, लेकिन मई 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो यह वोटबैंक कांग्रेस से फिसल गया। लोकसभा में सूबे की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया।
किसानों की कर्जमाफी वापस शुरू की जा रही है। किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया है। भाजपा ने किसानों को भ्रमित किया था। हमारी सरकार किसानों के हित के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
– सचिन यादव, कृषि मंत्री