कोरोना का यह साइड इफेक्ट इतना खतरनाक हो चुका है कि हर तीसरा बच्चा इन बीमारियों से प्रभावित हो रहा है.ऑनलाइन क्लास से 30% बच्चों की आंखों में ड्राइनेस की समस्या सामने आई है. इधर 40% बच्चों में मोटापा घर कर गया है. मोबाइल एडिक्शन तो 3 गुना तक बढ़ चुका है. स्कूल नहीं जा पाने या अन्य बच्चों के साथ खेल नहीं पाने से बच्चों में हताशा बढ़ रही है.
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घर में बच्चे अपने माता—पिता से स्कूल जाने या दोस्तों से मिलने की बात कहते हैं लेकिन अभिभावक इससे मना कर रहे हैं. इससे दिक्कत पैदा हो रही है और अभिभावक अपने बच्चों को शिशु रोग विशेषज्ञ व चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट के पास लेकर पहुंच रहे हैं. प्रदेश के प्रमुख शहरों में रोज ऐसी सैकड़ों शिकायतें सामने आ रही हैं.
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डॉक्टरों के मुताबिक उनके पास आनेवाले 40 प्रतिशत बच्चों में मोटापा बढ़ा है जबकि 30% बच्चों को आंखों में ड्राइनेस की समस्या है. चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट की ओपीडी में बच्चों की संख्या करीब 25 फीसदी तक बढ़ चुकी है. विशेषज्ञों के मुताबिक ‘ऑनलाइन क्लास’ के कारण बच्चों का मानसिक व शारीरिक विकास बाधित हो रहा है जिसे अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर कहते हैं.
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शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके दयाल बताते हैं कि मोबाइल एडिक्शन तो बहुत ही खतरनाक है. इसके कारण बच्चों की सोचने की शक्ति बहुत कम हो जाती है. दिनभर मोबाइल में व्यस्त रहने से सिरदर्द की समस्या भी बढ़ रही है. हर दस में चार बच्चों में मोटापे की समस्या देखी जा रही है. आठ से दस साल के बच्चों का वजन 10 किलो तक बढ़ गया है.
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सामने आए ये साइड इफेक्ट
— बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं
— ऑनलाइन क्लास के लिए दिलाए मोबाइल दिनभर चलाते रहते हैं
— एंग्जाइटी बढ़ गई है
— माता-पिता से बातचीत बहुत कम हो गई।
— रात को देर तक जागना और सुबह देर से उठने की आदत
— सिरदर्द की समस्या
— ग्रोथ कम हुई
— हो रहे एंटीसोशल
— वे किसी टास्क को पूरा नहीं कर पाते हैं
— बच्चे हायपर हो जाते हैं