1. दीप स्थापना: सबसे पहले पवित्रीकरण करें। आप हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल ले लें और अब उसे मूर्तियों के ऊपर छिड़कें। साथ में मंत्र पढ़ें। इस मंत्र और पानी को छिड़ककर आप अपने आपको पूजा की सामग्री को और अपने आसन को भी पवित्र कर लें।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।। अब पृथ्वी पर जिस जगह आपने आसन बिछाया है, उस जगह को पवित्र कर लें और मां पृथ्वी को प्रणाम करके मंत्र बोलें:
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः अब आचमन करें :
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ माधवाय नमः
आप हाथ में अक्षत लेकर, पुष्प और जल ले लीजिए। कुछ द्रव्य भी ले लीजिए। द्रव्य का अर्थ है कुछ धन। ये सब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र को बोलते हुए संकल्प कीजिए कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।
सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। उसके बाद वरुण पूजा यानी कलश पूजन करनी चाहिए। हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है।
– पूजा प्रारम्भ करने से पहले जलपत्र एवं कलश मे गंगा जल मिला लें ।
– ताम्बूल बनाने के लिये पान के पत्ते को उल्टा करके उस पर लौंग इलायची सुपारी एवं कुछ मीठा रखें ।
– दुर्वा में तीनपत्ती होनी चहिये ।
– गणपति पर तुलसी दल ना चढ़ायें ।
– जमीन पर गिरा हुआ ,बासी ,कीड़ा खाया हुआ फूल न चढ़ायें ।
– टूटी फूटी मुर्तियों को नदी मे, मंदिर में या पीपल के नीचे विसर्जित करे ।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिये लक्ष्मी मंत्र कमलगट्टे की माला पर जपना अधिक उत्तम होता है।
– धन प्राप्ति के लिये लाल आसन उत्तम माना जाता है ।
– ध्यान रहे कि पूजा करते समय या मंत्र उच्चारण के समय हाथ कभी भी खाली ना रहे । हाथ मे फूल या चावल अवश्य रखें ।
– घी का दीपक भगवान की मूर्ति के दाई ओर एवं तेल का दीपक बाई ओर रखे। धूप जल पात्र बाई ओर ही स्थापित करें।
– रक्षा सूत्र (मौली) बांधते समय हाथ मे पैसा एवं अक्षत ले खाली हाथ रक्षा सूत्र ना बांधे ।
– यदि पूजा करते समय कोइ भी चीज़ कम पड़ जाये तो आप उसकी जगह साबुत लाल चावल चढ़ा सकते है ।
– चढ़ाई हुई दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दे या मंदिर में दान करें ।
दीपावली पूजन का अर्थ – लक्ष्मी जी की पूजा के साथ इसमें कलश, नवग्रह, षोडशमातृका, श्री गणेश, महालक्ष्मी, महासरस्वती और श्री कुबेर की पूजा की जाती हैं ।
यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों।
लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति – मिट्टी या धातु की (Statue of Ganesh and Laxmi – made up with any material or earthern ), रोली 10 ग्राम (Roli 10 gm), मौली 2 गोला (Mauli 2 pieces), लौंग 10 ग्राम (Clove 10 gm),इलायची 10 ग्राम (Cardamon 10 gm), साबुत सुपारी 11 पीस (Areca nut(Supari) 11 pieces), इत्र 1 शीशी (Scent 1 small bottle ), देशी घी 250 ग्राम (Ghee 250 gm), आम के पत्ते (एक पल्लो) (Mango Leaves (in a bunch), खील 250 ग्राम (Kheel (made up from paddy) 250 gm), बताशा 250 ग्राम (Bataasha (type of sweet made from sugar in different shape) 250 gm ), सिंदूर 10 ग्राम (श्री हनुमान जी वाला ) (Vermillion (sindoor) 10 gm (orange colour), लाल सिंदूर की डिब्बी-1 (Red vermillion(Lal sindoor) – 1 small box), कपूर 10 ग्राम (Camphor (kapur) 10 gm ), रुई की बत्ती (Cotton lint( cotton batti), माचिस (Matchstick – 1), कमल गट्टा 10 ग्राम(Kamal Gatta 10 gm), साबुत धनिया (Coriander whole – 5gm), तोरण (Festoon of ashok leaves (ashok leaves toran), साबुत चावल 1 किलो (Whole rice 1 kg), पंच पात्र या 1 गिलास (plate or glass- 1),आचमनी या एक चम्मच (spoon -1),अर्धा या जलपात्र कलश ढ़क्कन सहित (Finial with cover( earthen pot with coverlid) – 1), दीप पात्र (utensil for lamp -1), धूप पात्र (utensil for dhoop -1), एक पानी वाला नारियल(Coconut( with water) – 1), लाल कपड़ा 2.5 मीटर (चौकी पर बिछाने के लिये एवं नारियल पर लपेटने के लिये) (Red Cloth 2 (2.5 meter each) (one for small stool and one to cover coconut), केसर 2 ग्राम (Saffron (Kesar) 2 gm ),
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त = 19:11 to 20:16
अवधि = 1 घण्टा 5 मिनट (1 Hour 5 Mins)
प्रदोष काल = 17:43 to 20:16
वृषभ काल = 19:11 to 21:06
अमावस्या तिथि प्रारम्भ = 19-अक्टूबर-2017 को 00.13 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त = 20-अक्टूबर-2017 को 00:41 बजे
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
एक दंत दयावंत चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी ।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
जय गणेश जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।। आरती: (Diwali Second Aarti) (Lakshmi ji ki Aarti) –
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै, कर्म प्रेर ल्याता
तेरा भगत मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता,
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॐ जय लक्ष्मी माता….