पिछले कुछ समय से टेक्नोलॉजी जैसे-जैसे एडवांस हो रही है। वैसे-वैसे ठग भी एडवांस होते जा रहे हैं। अब ये व्हाट्सएप कॉल के जरिए संपर्क करते। ज्यादातर नंबर +92 (पाकिस्तानी) नम्बर या किसी दूसरे देश के नम्बर +91 के अलावा से आते हैं।सामने वाला व्यक्ति आपको फोन पर डराकर कहता हैं कि आपके पैन या आधार कार्ड का इस्तेमाल करके पार्सल भेजा गया है। जिसमें ड्रग्स,हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ शामिल हैं।
ठग द्वारा एनसीबी,ईडी,सीबीआई, एनआईए जैसी अन्य इंवेस्टीगेशन एजेंसी अधिकारी के नाम से बदल-बदल कर कॉल आते हैं। ज्यादातर मामलों में व्हाट्सएप वीडियो कॉल आते हैं। जिसमें आपके नाम से पार्सल पकड़ा जाने की बात कहकर पार्सल में नशीले पदार्थ होने का दावा किया जाता है। फिर उनके द्वारा आपको कोर्ट फीस या जमानत देने के नाम और केस से नाम हटाने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। ऐसे में वीडियो कॉल पर पुलिस अधिकारी से बात भी कराई जाती है। जिसमें आपको वीडियो कॉल पर फर्जी नोटिस दिखाया जाता है। जिसमें कहा जाता है कि आप डिजिटल अरेस्ट हुए हैं। आपको घर में ही रहना पड़ेगा। खुद को कमरे में बंद करके सभी सवालों के जवाब पूछे जाते हैं और कैमरे में सामने ही बैठने को कहा जाता है। धमकाया भी जाता है कि अगर कोई कमरे के अंदर आया तो दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
सामने वाले व्यक्ति को इतना डराया जाता है कि वह न चाहते हुए भी वह अपने बैंक अकांउट की पूरी जानकारी दे देता है। आगे कहा जाता है कि आपको गलत फंसा दिया गया है। आप जांच पूरी होने तक पूरा पैसा आरबीआई में जमा कर दीजिए। जांच पूरी होने के बाद आपको पूरा पैसा वापस मिल जाएगा। इस दौरान आपको कार्रवाई के नाम पर डराकर घर के अंदर रहने को कहा जाता है और इसी तरह पैसे जमा कर लिया जाता है।
+92 से शुरु होने वाले अनजान नंबरों से फोन न उठाएं। ज्यादातर ये कॉल व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर ही आते हैं। वहीं भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसे कानून का कोई नियम नहीं। किसी के कहने पर डरे नहीं। अपनी निजी जानकारी किसी अनजान को देने से बचें। कोई भी संस्थान आपका पैसा किसी भी सरकारी खाते में जमा या सुरक्षित करने की सलाह नहीं देता। अपना पैसा किसी भी अंजान आदमी के खाते में ट्रांसफर न करें। अगर आपके साथ कोई फ्रॉड हुआ है तो इसे नजदीकी पुलिस थाने में या www.cybercrime.gov.in या Cyber Crime Help Line के टोल फ्री नम्बर 1930 पर कॉल करें।