अरेरा कॉलोनी में रह रहे उद्यमी विवेक ओबेरॉय को रविवार दोपहर 1.30 बजे कॉल आया। कॉलर ने खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का अफसर बताया। फर्जी नाम से सिम लेने और फिर कई फर्जी बैंक खाते खोलने की बात कहकर डराया। ओबेरॉय घबरा गए और ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर लिया।
हाउस अरेस्ट के बीच ही ओबेरॉय से मिलने परिचित पहुंचा तो उन्होंने ऑनलाइन जांच होने की बात कही। परिचित को ठगी की आशंका हुई और पुलिस को सूचना दी। साइबर सेल हरकत में आई और ओबेरॉय को बचा लिया। ओबेरॉय इतने डरे थे कि असली पुलिस को भी नकली मान रहे थे। आइडी कार्ड देखा, पुलिस ने समझाया, तब भरोसा किया।
ऐसे समझें पूरा घटनाक्रम
फोन का जाल दोपहर 1.30 बजे ठगों ने फोन कर खुद को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया के लीगल सेल का अफसर बताया। कहा, आपके आधार कार्ड पर फर्जी तरीके से सिम ली गई है। इस सिम से देश के कई जिलों में फ्रॉड करने के लिए कई फर्जी बैंक खाते खोले गए। फर्जी अफसर बन डराया फोन से डरे ओबेरॉय संभल पाते, इससे पहले ही एक और कॉल आया। इस बार कॉलर ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का सब इंसपेक्टर विक्रम सिंह और सीबीआइ का डीसीपी सनेश कलवंतू बताया। तीन मोबाइल और एक लैपटॉप पर वीडियो कॉल कर विवेक ओबेरॉय को डिजिटल अरेस्ट कर लिया।
गिरफ्तारी की धमकी, ली अहम जानकारी
ओबेरॉय को ठगों ने ऑनलाइन इतना धमकाया कि वे समझ ही नहीं सके। 6 घंटे तक वे एक ही कमरे में ठगों के सवालों के जवाब देते रहे। इस दौरान ओबेरॉय से उनकी और परिवार की निजी जानकारी के साथ ही बैंकिंग डिटेल्स भी पूछ ली। ठगों ने धमकाया किसी को बताया तो गिरफ्तार कर लिया जाएगा। परिवार के सदस्यों पर भी कार्रवाई होगी। इसे सुन पत्नी भी डर गईं।
…और उम्मीद की किरण
इसी बीच उद्यमी विवेक से मिलने परिचित पहुंचे। उन्होंने विवेक को घबराया देखा। पूछा तो उन्होंने कहा, ऑनलाइन जांच चल रही है। परिचित को शक हुआ और उन्होंने स्टेट साइबर सेल के एडीजी योगेश देशमुख को बताया। देशमुख ने उनके घर पुलिस भेजी और कार्रवाई हुई।
डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती
डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती। ऐसा कॉल आए तो पुलिस को बताएं। पुलिस वीडियो कॉल से पूछताछ नहीं करती। – योगेश देशमुख, एडीजी, स्टेट साइबर सेल
लूट की ऐसी कई कहानियां
8 अक्टूबर को इंदौर में 65 साल की बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 46 लाख रुपए ठगे। भोपाल में रिटायर्ड कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी की गई थी। 18 अगस्त को उज्जैन में रिटायर्ड बैंक अफसर से 39 लाख लगे थे।