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भोपाल

बाबरी विध्वंस केस का फैसला 30 को, उमा भारती और पवैया भी हैं आरोपी

सीबीआई की विशेष अदालत 30 सितंबर को सुनाएगी फैसला…। सभी आरोपियों को मौजूद रहने के आदेश…।

भोपालSep 16, 2020 / 06:01 pm

Manish Gite

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Demolition of the Babri Masjid

 

भोपाल। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को रामजन्म भूमि परिसर में स्थित विवादित ढांचे ( Demolition of the Babri Masjid ) को गिराए जाने के मामले में सीबीआई कोर्ट 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले में मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, जय भान सिंह पवैया भी आरोपी हैं। कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने के आदेश दिए हैं।

 

दो माह पहले दर्ज किए थे बयान

इससे पहले उमा भारती ने दो माह पहले लखनऊ पहुंचकर सीबीआई की विशेष अदालत में बयान दर्ज किए थे। 2 जुलाई को कोर्ट में पेश हुई उमा भारती ने अपने बयान में कहा था कि 1992 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना से उन पर बाबरी विध्वंस का आरोप मढ़ा था। वे बिल्कुल निर्दोष हैं। हालांकि अदालत के बाहर उमा भारती ने मीडिया से कहा था कि राम मंदिर अभियान से जुड़कर वे गौरवान्वित महसूस करती हैं। मैं तो राम भक्त हूं और राम भक्ति के भाव की वजह से मैंने इस पूर्ण अभियान में भाग लिया। इसके लिए मैं हमेशा खुश को गौरवशाली मानती हूं। साध्वी ऋतम्भरा के साथ उमा भारती ने राम जन्मभूमि आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। इस दौरान उनका नारा था “श्री रामलला घर आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे”।

 

 

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जयभान सिंह पवैया भी हैं आरोपी

12 जून को सीबीआई की विशेष अदालत में बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया ( jaibhan singh pawaiya ) ने भी बयान दर्ज कराए थे। उन्होंने पांच घंटे में 1050 सवालों के जवाब दिए थे। पवैया भाजपा के उन 7 बड़े नेताओं में शामिल हैं जिन्हें ढांचा गिरने के बाद 1993 में 13 दिन के लिए जेल भेजा गया था। इसके बाद फरवरी 1993 में जयभान सिंह के ग्वालियर स्थित घर पर सीबीआई ने छापा मारा था और ढांचे की ईंट तलाशने के लिए तलाशी ली गई थी, लेकिन सीबीआई घर से उसे तलाश नहीं पाई थी।

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ऋतंभरा भी दर्ज करा चुकी हैं बयान दर्ज

ऋतंभरा ( sadhvi ritambhara ) भी लखनऊ की सीबीआई विशेष कोर्ट में अपने बयान दर्ज करा चुकी हैं। हालांकि कई बार वे कहती हैं कि मैं निर्दोष हूं। ऋतंभरा मध्यप्रदेश में भड़काऊ भाषण देने के मामले में भी जेल जा चुकी हैं। देवास जिले की एक अदालत में 27 अप्रैल 1995 को उन्हें पेश किया गया था। उन पर देवास जिले के एक थाने में प्रकरण दर्ज किया गया था।

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