पुराने शहर के किराने बाजार में अभी भी परंपरागत रूप से ही गुड़ बेचा जाता है। यहां 45 रुपए प्रति किलो से 80 रुपए प्रति किलो तक गुड़ उपलब्ध है। इस बार जैविक गुड़ की ज्यादा डिमांड आ रही है। थोक और फुटकर व्यापारी बताते हैं कि राजधानी भोपाल और आसपास के इलाकों में अब नरसिंहपुर के करेली के गुड़ की सबसे ज्यादा पूछपरख होती है। यहां का देशी गुड़ खरीदने दूर—दूर से लोग आते हैं।
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दरअसल नरसिंहपुर जिले में अच्छी क्वालिटी के गन्ना होते हैं जिससे ये गुड़ बनाया जाता है। यही कारण है कि करेली के गुड़ की मिठास ही कुछ अलग है। अपनी गुणवत्ता के कारण करेली का गुड़ इतना विख्यात हो गया है कि इसकी अब देश—प्रदेश के साथ दुनियाभर में मांग होने लगी है।
यहां का गुड़ रेशेदार होने के साथ ही बहुत मीठा रहता है। अब यहां अदरक, इलायची सहित कई फ्लेवर के भी गुड़ बनाए जा रहे हैं। बाजार में आई मांग की पूर्ति के लिए करेली—नरसिंहपुर क्षेत्र में कई स्थानों पर जैविक पद्धति से उत्पादित गन्ना से गुड़ बनाया जा रहा है। जैविक गुड़ की कैंडी बनाई जा रही है, जैगरी पाउडर और विनेगर भी बन रहे हैं जोकि बहुत पसंद किए जा रहे हैं।
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गुड़ विक्रेता जितेंद्र वधावन बताते हैं कि आजकल जैविक गुड़ की ज्यादा डिमांड है हालांकि इसकी कीमत सामान्य गुड़ से कुछ ज्यादा होती है। गुड़ छोटे छोटे पैकेट में ज्यादा बिक रहा है। आधा किलो और एक किलो के गुड़ के पैकेट सबसे ज्यादा बिकते हैं।
गौरतलब है कि नरसिंहपुर जिले में करीब 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना होता है। यहां के कुछ किसान करीब 350 एकड़ में जैविक गन्ना भी उगा रहे हैं जिससे जैविक गुड़ बनाया जा रहा है। जिले के कुछ किसानों ने गुड़ एक्सपोर्ट करने लायसेंस बनवा लिया है। यहां का गुड़ श्रीलंका और सिंगापुर से लेकर यूएसए यानि अमेरिका और यूएई तक जा रहा है।