मध्य प्रदेश में औसतन एक साल में सायबर अपराधों की करीब 16 हजार शिकायतें पुलिस में दर्ज होती हैं। ट्रेंड स्टाफ और संसाधनों की कमी की वजह से इन शिकायतों के आगे पूरी व्यवस्था बोनी साबित होती है। जिलों पुलिस अभी अपने सायबर केस की जांच के लिए भोपाल स्थित राज्य सायबर सेल पर ही निर्भर रहती है। बढ़ते सायबर अपराधों और मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार द्वारा हालही में ये निर्णय लिया गया है कि, प्रदेश में पहले चरण में 13 जिलों में सायबर लैब खोली जांएगीं। इसी महीने से इन लैब्स का काम शुुरु होना है।
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ऐसा होगा ढांचा
इस सायबर लैब में एक सब इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल तैनात रहेंगे। राज्य सायबर सेल ने इन सभी को काम करने की कंट्रोलिंग भी दी जा चुकी है। लैब के लिए केंद्र और राज्य सरकार की मदद से करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए के उपकरण खरीद लिए गए हैं।
हर जिले में लैब खोलने का लक्ष्य
स्टेट सायबर हेड क्वार्टर के एसपी रियाज इकबाल के अनुसार, प्रदेश में लगातार बढ़ रही सायबर अपराधों की संख्या को देखते हुए सरकार द्वारा हर जिले में सायबर सेल लैब खोलने का निर्णय लिया गया है। विभाग का मानना है कि, जिस तरह लगातार चीजें हाइटेक होती जा रही हैं। उसी तरह आगे चलकर सायबर क्राइम के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी होती रहेगी। इसी के तहत सामने आ रहे मामलों को देखते हुए शुरुआत में प्रदेश के 13 जिलों में सायबर लैब शुरू करने की तैयारी पूरी की गई है। फिलहाल, उन जिलों में ज्यादा सायबर लैब खोले जा रहे हैं, जहां से सायबर क्राइम के मामले सामने आते हैं। इसका कंट्रोल जिले के एसपी करेंगे। साथ ही ये लैब राज्य सायबर मुख्यालय के अधीन रहेगी।
नए फार्मूले से कंट्रोल की तैयारी
पहले जिले के कोतवाली थाने को सायबर नोडल थाना सुनिश्चित किया गया था, लेकिन तकनीक और ट्रेनिंग के कारण वहां FIR दर्ज नहीं हो पा रही थी। दूसरी तरफ थानों में आने वाली शिकायतों को भी डिस्ट्रिक्ट और स्टेट सायबर सेल भेजा जा रहा था। ऐसे में अब बढ़ते सायबर क्राइम की संख्या को देखते हुए हर जिले में एक सायबर लैब खोलने का फैसला लिया है। कोतवाली थाने को नोडल थाना बनाने के मॉडल में ज्यादा सफलता नहीं मिली। सभी जिलों में सायबर थाना खोलना संभव नहीं है। इसलिए फिलहाल 13 जिलों में ही ये प्रयोग किया जा रहा है।
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