पत्र में उन्होंने कहा कि हाल ही की एनसीआरबी की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश बाल अपराधों में देश में शीर्ष पर आया है और बच्चों की सुरक्षा के मामले में देश का सबसे असुरक्षित राज्य माना गया है। पिछले दिनों नेमावर, खरगोन, नीमच, डबरा, बालाघाट में आदिवासी वर्ग के साथ अत्याचार व दमन की घटनाएं सामने आईं हैं। जिस पर सरकार ने कोई ठोस कदम नही उठाए और ना पीडि़त परिवारों से मिलना तक उचित समझा।
प्रदेश में खाद संकट से किसान परेशान हैं। कोयला संकट के कारण कई विद्युत इकाइयां बंद पड़ी हुई है, जिसके कारण प्रदेश में अघोषित विद्युत कटौती जारी है। घोषणावीर मुख्यमंत्री 17 वर्षों बाद भी वो झूठी घोषणाओं ,झूठे नारियल फोडऩे में व्यस्त हैं। हाल ही में प्रदेश के भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में आगजनी की घटना से 16 मासूमों की अभी तक मौत हो चुकी है, सरकार मौत के आंकड़े दबाने छुपाने में लगी हुई है। मध्यप्रदेश में आज हर वर्ग परेशान है। कर्मचारी वर्ग अपने डीए में बढ़ोतरी, वेतन वृद्धि और रुके हुए एरियर की राशि चाहता है। आशा-उषा कार्यकर्ता मानदेय चाहती है, चयनित शिक्षक अपना हक चाहते हैं लेकिन शिवराज सरकार इस मामले में उदासीन बनी हुई है।
आदिवासी विरोधी है सरकार –
कमलनाथ ने प्रदेश की शिवराज सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि हमारी सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित किया था जिसे भी शिवराज सरकार ने निरस्त कर दिया और उनके हित की हमारी सरकार द्वारा शुरू कई योजनाओं को भी बंद कर दिया।