पीडि़त पक्ष ने बताया कि सीलिंग में फंसी जमीन को बचाने के लिए परिवार ने पूरी ताकत लगा दी। 2018 में बैरागढ़ चीचली कोलार रोड निवासी सदाराम, भाई जयराम, रामरतन की 10.64 एकड़ जमीन सीलिंग से मुक्त हुई थी। जिसका नामांतरण भी कर दिया गया था। उसके बाद 5 एकड़ 55 डेसीमल का नामांतरण फर्जी तरीके से आरके लालवानी के नाम कर दिया गया। किसान ने बताया कि इस मामले को लेकर जब कोलार तहसील में जमीन के सीमांकन के लिए आवेदन पेश किया गया तो आरआइ अनिल मालवीय और वीरेश बघेल ने पैसों की मांग की। किसान का आरोप है कि उसने एक लाख 45 हजार रुपए भी दे दिए, लेकिन जमीन का सीमांकन अब तक नहीं किया गया। वह तहसील के चक्कर काट-काट कर परेशान है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीे हो रही। कभी कोरोना तो कभी कोई और बहाना बनाकर उसे भगा दिया जाता है।
मेरा क्षेत्र ही नहीं है
कोलार तहसीलदार संतोष मुदगल का कहना है कि ये मेरा क्षेत्र नहीं है। पीडि़त अपने बारे में नहीं बता रहे। ये वर्ष 2016 से मामला चल रहा है। उस समय मैं यहां था ही नहीं, ये सारे आरोप गलत हैं, मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। वहीं,
एसडीएम कोलार क्षितिज शर्मा का कहना है कि ये मामला नायब तहसीलदार दिलीप द्विवेदी की कोर्ट में चल रहा है। वह कई महीनों से आ नहीं रहे हैं। तहसीलदार का तो इसमें कोई लेना देना नहीं है। वर्षों से मामला हाईकोर्ट में होने के कारण इसमें कार्रवाई रुकी हुई है। पीडि़त के सभी आरोप बेबुनियाद हैं।