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संक्रमण स्तर में ऐसे आया उछाल
वहीं बड़े शहरों वाले जिले जैसे भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन की हिस्सेदारी रोजाना के हिसाब से 65.36 फीसदी से घटकर 46.45 फीसदी पर आ पहुंची है।22 मार्च को प्रदेश के 5 जिले अलीराजपुर, होशंगाबाद, निवाड़ी, शाजापुर और टीकमगढ़ में एक भी कंफर्म केस नहीं मिला था। 10 से कम केस वाले जिलों की संख्या भी 30 थी, जबकि 22 अप्रैल तक प्रदेश में ऐसा एकमात्र जिला अनूपपुर है, जहां एक दिन में 10 से कम केस सामने आए हैं।
यहां सबसे कम और यहां सबसे ज्यादा
अब तक प्रदेश में सबसे अधिक 2.2 फीसदी की मृत्युदर प्रदेश के दमोह और खंडवा जिजे में देखने को मिली है। यहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी चुनौती बनी हुई हैं। वहीं, 90 फीसदी सबसे अधिक रिकवरी रेश्यो वाला जिला प्रदेश का नरसिंहपुर है। जबकि, इस अवधि में सबसे कम 57.1 फीसदी रिकवरी रेश्यो वाला जिला टीकमगढ़ है।
इन जिलों में तेजी से बढ़े केस
नहीं, बात करें प्रदेश के बड़े शहरों से सटे छोटेे जिलों की, तो यहां कोरोना के केस तेजी से बढ़े हैं। सिर्फ एक माह के अंतराल में जहां इंदौर में पांच गुना केस बढ़े हैं, वहीं इससे लगे धार जिले में ये 32.5 गुना बढ़ा (केस 6 से 195 पहुंचे)। वहीं भोपाल से लगे सीहोर (आठ से 198 केस) में ये 24.75 गुना बढ़ा है। ग्वालियर से सटे मुरैना में इसकी रफ्तार (1 से 186 केस) यानी 186 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं, उज्जैन से लगे आगर मालवा में (2 से 61) यानी यहां भी 30 फीसदी से अधिक संकरमण की रफ्तार बढ़ी है।
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बड़े शहरों में रिकवरी रेट की रफ्तार घटी
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में मरीजों की रिकवरी रेट में भी गिरावट दर्ज की गई है। एक महीने में ये 95.69 फीसदी से घटकर 80.43 फीसदी पर आ पहुंची है। प्रदेश के 5 बड़े शहरों में केस की हिस्सेदारी तो घटी लेकिन रिकवरी रेट भी तेजी से गिरा है। ये 22 मार्च को जहां 73 फीसदी पर था, तो वहीं 22 अप्रैल को ये 47 फीसदी दर्ज किया गया है।
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